कुंदन कुमार, पटना. बिहार में लोकसेवा आयोग द्वारा सरकारी विद्यालयों में प्रधान शिक्षक की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन बिहार में 15,000 नियोजित शिक्षक जो प्रधान शिक्षक के परीक्षा पास कर गए हैं. वह ज्वाइन नहीं कर रहे हैं. द्वंद उनके वेतन को लेकर बना हुआ है. इसके प्रक्रिया में देरी होने का मूल कारण यही है कि प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक की भर्ती नियमावली 2021 में बनी थी. 2022 में वैकेंसी निकली तब नियोजित शिक्षक का मूल वेतन 26,000 था, जबकि प्रधान शिक्षकों का मूल वेतन 30 हजार 500 तय किया गया था.

2 लाख नियोजित शिक्षकों ने भरा था फॉर्म

2 लाख नियोजित शिक्षकों ने प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक का फॉर्म भरा. भर्ती प्रक्रिया पूरी होने में 3 वर्ष लग गए और इस दौरान नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिला और मूल वेतन 31 हजार 340 हो गया, जबकि जब वैकेंसी निकली थी प्रधान शिक्षकों का वेतन मात्र 30 हजार 500 रुपए ही रहा था. प्रधान शिक्षक के पद को लेकर नियोजित शिक्षक उहापोंह में फंसे हुए हैं कि ज्वॉइन करें या ना करें?

शिक्षा मंत्री ने कही ये बात

यही कारण है कि अभी तक नियोजित शिक्षक जो प्रधान शिक्षक की परीक्षा पास किए हैं. वह ज्वाइन नहीं कर रहे हैं. शिक्षकों के इस समस्या के बारे में जब शिक्षा मंत्री सुनील कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, प्रधान शिक्षक के पद पर चयनित शिक्षकों की समस्या के बारे में जानकारी मिली है और इसको लेकर विभागीय बैठक होगी. इसके आधार पर ही आगे निर्णय लिया जाएगा. अब स्थिति यह है कि जो नियोजित शिक्षक से राज्य कर्मी का दर्जा पा गए हैं. वैसे शिक्षक प्रधान शिक्षक नहीं बनना चाह रहे हैं. इसका मुख्य रूप से कारण यही है कि, जो राज्य कर्मी बन गए हैं उनका वेतन प्रधान शिक्षक के मूल वेतन से ज्यादा हो गया है.

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