दिलशाद अहमद, सूरजपुर। विश्रामपुर के बंद पड़े SECL के पोखरी में नहाने गए दो बच्चियों की डूबने से मौत हो गई विश्रामपुर के रेलवे स्टेशन के पास फोकट पारा में रहने वाली शकीबा अपने तीन बच्चों के साथ रहती थी और भीख मांग कर परिवार का गुजर-बसर करती थी. कल इसी काम को लेकर वह अंबिकापुर गई हुई थी. उसके तीनों बच्चे घर में थे, आज जब वह घर आई और अपने बच्चों को ढूंढने लगी.

कुछ देर के बाद उसका छोटा लड़का ने बताया कि वह नहाने गए हुए थे, जब पोखरी के पास पहुंचे तो चप्पल देखें. इसकी जानकारी पुलिस को दी गई. पुलिस सूचना के बाद नगर सेना और पुलिस टीम ने तीन घंटे के रेस्क्यू करके दोनों बच्चों को बाहर निकाले. तब तक दोनों बच्चियों की मौत हो गई थी.

आज फिर एसईसीएल की लापरवाही के कारण दो मासूम बच्चों की जान चली गई. इससे पहले भी एसईसीएल के बंद बड़े पोखरी में कई लोगों की जान जा चुकी हैं. आखिरकार लगातार जब बंद पड़े पोखरी में लोगों की जान जा रहे हैं. फिर क्यों इस पोखरी को पाटा क्यों नहीं जा रहा है. लोगों को जाने के लिए रोकने के लिए कोई गार्ड क्यों नहीं लगाया जाता. यह एक बड़ा सवाल है, जो हमेशा बना रहेगा.

गर्मी के दिनों में ऐसी घटना ज्यादा होती हैं. इस मौसम में एसईसीएल प्रशासन के द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया. आज फिर लापरवाही के कारण ही 2 मासूमों की जान चली गई.

अब इस पूरे मामले में क्षेत्रीय विधायक और संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े का कहना है कि प्रशासन और एसईसीएल से बात करके बंद पड़े पोखरी को व्यवस्थित किया जाएगा, जिससे किसी तरह की जनहानि ना हो सके. वहीं पुलिस विभाग के द्वारा भी कई बार एसईसीएल को पोखरी को लेकर लेटर जारी किया गया है. आज भी कई पोखरी इसी तरह से जानलेवा बना हुआ है. समय रहते ही कोई पहल नहीं किया गया तो कई और परिवारों के मासूम इसके चपेट में आ सकते हैं.

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