अंकुर तिवारी, धमतरी। जिले में अब वन्य प्राणियों की खाल तस्करी फिर से शुरू हो गई है. तस्कर बेखौफ होकर तेंदुए खाल की तस्करी करने के लिए बाइक से निकले थे. तस्कर तेंदुए की खाल को बोरी में भरकर ग्राहक तलाश रहे थे. इसी बीच रास्ते में घेराबंदी कर साइबर सेल और थाना रुद्री पुलिस की संयुक्त टीम ने तस्करों धर दबोचा.

दरअसल, पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल कुमार ठाकुर ने संपत्ति संबंधी अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए आसूचना तंत्र मजबूत करने, सतत पेट्रोलिंग और गस्त सुदृढ़ करने समेत किसी भी प्रकार की सूचना पर तत्काल तस्दीक कर वैधानिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही वनांचल क्षेत्रों में वन्य प्राणियों और वस्तुओं की खरीदी-बिक्री और तस्करी पर अंकुश लगाने सतत पेट्रोलिंग कर संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों पर निगाह रखने निर्देशित किया गया है, जिसका बेहतर परिणाम भी नजर आ रहा है.

पुलिस ने बताया कि विश्वस्त सूत्रों से सूचना मिली कि एक नीले रंग की मोटरसाइकिल में दो व्यक्ति अपने पास वन्य प्राणी तेंदुए की खाल रखकर बिक्री करने के लिए ग्राहक तलाश रहा है. मोटरसाइकिल से ग्राम बरारी की ओर जा रहा है. उक्त सूचना से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया. पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल कुमार ठाकुर द्वारा साइबर सेल व थाना प्रभारी रुद्री को सूचना की तस्दीक कर त्वरित वैधानिक कार्रवाई करने निर्देशित किया, जिस पर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निवेदिता पाल के मार्गदर्शन में कार्रवाई की है.

उक्त टीम के द्वारा गवाहों के साथ मुखबिर के बताए स्थान ग्राम बरारी-कुकरेल मार्ग स्थित मां लोलरदाई मंदिर तिराहा के पास घेराबंदी किया गया. कुछ देर बाद मोटरसाइकिल में दो व्यक्ति को आते दिखे, जिन्हें रोका गया. उनकी गतिविधियां संदिग्ध लगने पर नाम-पता पूछकर विधिवत तलाशी ली गई. मोटरसाइकिल चला रहे व्यक्ति ने अपना नाम रघुनाथ निषाद और पीछे बैठे व्यक्ति ने अपना नाम विमल यादव जिला गरियाबंद बताया.

मोटरसाइकिल में पीछे बैठे व्यक्ति विमल यादव अपने पास पीले रंग की प्लास्टिक बोरी रखा था, जिसकी विधिवत तलाशी लेने पर बोरी में वन्य प्राणी तेंदुआ की 1 नग खाल बरामद हुआ, जिसके संबंध में पूछताछ करने पर संतुष्टिप्रद जवाब नहीं दिया, जिसके बाद 10 लाख रुपए कीमती एक नग तेंदुए की खाल बरामद किया है.

आरोपियों के खिलाफ रुद्री थाने में वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा 9, 39(1)(2)(3), 51, 52 व लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 एवं धारा 34 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. गिरफ्तार आरोपियों को न्यायिक रिमांड के लिए न्यायालय में पेश किया गया. जहां से कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेज दिया है.

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