रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से महत्वपूर्ण सुराजी गांव योजना के गरूवा घटक के तहत अब तक राज्य में निर्मित और सक्रिय रूप से संचालित 7714 गौठानों में से 2029 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं. स्वावलंबी गौठान गोबर खरीदी से लेकर वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के लिए स्वयं के पास उपलब्ध राशि का उपयोग करने लगे हैं. रायगढ़ जिले में सर्वाधिक 249 गौठान स्वावलंबी हुए है. दूसरे क्रम पर कबीरधाम जिला, जहां 141 गौठान और तीसरे क्रम पर महासमुंद जिला है, जहां 131 गौठान स्वावलंबी हुए हैं.
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार गरियाबंद जिले में 25, धमतरी में 66, बलौबाजार में 84, रायपुर जिले में 75 कबीरधाम जिले में 141, दुर्ग में 86, बालोद में 67, बेमेतरा में 58, राजनांदगांव जिले में 101, कोरबा में 103, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 25, जांजगीर-चांपा में 90, बिलासपुर में 76, मुंगेली में 60, रायगढ़ में 249, कोरिया में 73, जशपुर में 70, बलरामपुर में 55, सरगुजा में 65, सूरजपुर में 53, कांकेर में 105, कोण्डगांव में 21, दंतेवाड़ा में 35, नारायणपुर में 6, बस्तर में 35, बीजापुर में 22 और सुकमा जिले में 52 गौठान स्वावलंबी बन चुके हैं.
गौरतलब है कि राज्य में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अब तक 10538 गांवों में गौठान के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है. जिसमें से 7714 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है और वहां पर गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण सहित अन्य आयमूलक गतिविधियां संचालित हो रही है. वर्तमान में 2443 गौठानों का तेजी से निर्माण कराया जा रहा है.
शेष 381 गौठानों के निर्माण का कार्य अभी शुरू कराया जाना है. गौठानों में पशुधन के देखरेख, चारे-पानी एवं उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप गौठानों में पशुओं के लिए हरे चारे का इंतजाम भी किया जा रहा है. अब तक 5302 गौठानों में लगभग 14,466 एकड़ में हरा चारा लगाया गया है. जिसमें हाईब्रिड नेपियर घास का रोपण और अन्य चारा बुआई की गई है.
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