रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जल्द ही अपने मंत्री मंडल का गठन करने जा रहे हैं. मंत्रीमंडल को लेकर जबर्दस्त माथापच्ची का दौर शुरु होने वाला है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री ताम्रध्वज साहू गुरुवार को दिल्ली रवाना होंगे. जबकि मंत्री टीएस सिंहदेव बुधवार को जाएंगे. माना जा रहा है कि इसके बाद आलाकमान से मंत्रियों के नामों पर विचार होगा.
आलाकमान से संभावित सूची में मुहर लगने के बाद वे राजधानी रायपुर लौटेंगे. 24 से 30 नवंबर तक राज्यपाल आनंदीबेन पटेल छुट्टी में जा रही हैं. बताया जा रहा है कि कम से कम चार मंत्री आदिवासी तबके से और एक मंत्री अनुसूचित जाति से बनाया जा सकता है. मुख्यमंत्री को मिलाकर तीन मंत्री पहले ही बन चुके हैं. इस तरह सामान्य और ओबीसी तबके से विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को मिलाकर 7 लोगों को ही एडजस्ट किया जा सकता है.
ये विधायक बनेंगे सरकार का हिस्सा
सबसे ज़्यादा पेंच सामान्य वर्ग से मंत्रियों को लेकर है. बताया जा रहा है कि टीएस सिंहदेव को मिलाकर सामान्य वर्ग से 4 मंत्री बनाए जाएंगे. सिंहदेव के अलावा प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा रायपुर से हैं जो कि रायपुर संभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं और रायपुर की जनता के लिए आसानी से उपलब्ध भी हो जाते हैं. इस लिहाज से उनका मंत्री पद का दावा पुख्ता है. रविंद्र चौबे नेता प्रतिपक्ष और संसदीय ज्ञान के मामले में काबिल लोगों में शामिल हैं. लिहाज़ा उनका भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है.
इसके अलावा प्रदेश में दूसरे नंबर पर सर्वाधिक मतों से जीतने वाले अमितेश शुक्ल हैं. वे प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल और पूर्व केन्द्रीय मंत्री व झीरम हमले में शहीद विद्याचरण शुक्ल की साझी विरासत संभाल रहे हैं इसलिए इनका भी मंत्री पद का दावा पुख्ता माना जा रहा है. इनके अलावा दुर्ग से ही अरुण वोरा का नाम भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल है, वे कांग्रेस के महामंत्री व पूर्व में कोषाध्यक्ष व मुख्यमंत्री रह चुके मोतीलाल वोरा के पुत्र हैं. ऐसी स्थिति में किसे रखा जाए और किसे निकाला जाए. ये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए बड़ी चुनौती है.
इसी तरीके से ओबीसी कोटे में मंत्री पद को लेकर मारामारी है. चरणदास मंहत विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर काम संभाल सकते हैं. भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू पहले से मंत्री बन चुके हैं. युवा चेहरे के रुप में झीरम घाटी में शहीद हुए पूर्व पीसीसी अध्यक्ष नंद कुमार पटेल के बेटे और खरसिया विधायक उमेश पटेल को मंत्री मंडल में शामिल करने की पूरी संभावना है. इसी तरीके से पूर्व पीसीसी अध्यक्ष धनेंद्र साहू को भी एडजस्ट करना बड़ी चुनौती है.
अब बात करते हैं आदिवासी समाज के उन विधायकों की . जिन्हें मंत्री बनाया जा सकता है. अनुसूचित जनजाति वर्ग से कम से कम 4 मंत्री शामिल किये जाने की उम्मीद है जिसमें सरगुजा संभाग से 3 आदिवासी विधायकों के दावे पुख्ता हैं. उनमें 8 बार विधायक रहे पत्थलगांव से राम उपकार सिंह, गृहमंत्री को हराकर विधानसभा पहुंचे प्रेमसाय सिंह टेकाम हैं जो कि पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं. इनके साथ ही सीतापुर से विधायक अमरजीत सिंह भगत को भी भूपेश के मंत्री मंडल में शामिल किये जाने की उम्मीद है. वहीं डौंडी लोहारा से अनिला भेड़िया की दावेदारी भी पुख्ता है वे अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने के अलावा दो बार लगातार जीत के विधानसभा में पहुंची हैं और महिला भी हैं इस लिहाज से भूपेश के मंत्रीमंडल में अनिला भेड़िया की जगह भी पक्की मानी जा रही है. बस्तर से आदिवासी समुदाय से कवासी लखमा का मंत्री बनना तय है, उनके अलावा मनोज मंडावी को भी मंत्री मंडल में जगह मिल सकती है. मंडावी अजीत जोगी के मंत्री मंडल में मंत्री रह चुके हैं इसके अलावा वे कांग्रेस के अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं.
अनुसूचित जाति वर्ग से शिव कुमार डहरिया का दावा सबसे ज्यादा पुख्ता है वे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं. हालांकि गुरु रुद्र कुमार भी मंत्री पद के दौड़ में हैं लेकिन दुर्ग संभाग से खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू, रविन्द्र चौबे और अरुण वोरा और अनिला भेड़िया भी आती हैं लिहाजा गुरु रुद्र कुमार को मंत्री मंडल में शामिल करने की उम्मीदें कम है, उन्हें अनुसूचित जाति आयोग या निगम-मंडल की जिम्मेदारी दी जा सकती है.
उसके अलावा सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले और अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले मोहम्मद अकबर का दावा संभावित सूची में सबसे ज्यादा पुख्ता है. सहज सरल स्वभाव के मोहम्मद अकबर पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं और कांग्रेस के विद्वान नेताओं में इनकी गिनती सबसे ऊपर होती है.
पीसीसी अध्यक्ष पर भी लग सकती है मुहर
इन विधायकों में से किसी 1 विधायक को पीसीसी अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी दी जा सकती है. पीसीसी को संभालते हुए भूपेश पांच साल पूरा कर लिये हैं. अब चूंकि भूपेश खुद सीएम बन गए हैं. इसलिए नए पीसीसी अध्यक्ष की नियुक्ति भी होनी है. भूपेश सत्ता के साथ ही संगठन की कमान भी अपने हाथों में रखना चाहेंगे जिससे कि सत्ता और संगठन मिलकर काम कर सके. लिहाजा पीसीसी अध्यक्ष भी भूपेश बघेल की पसंद का होगा. जो कि इन विधायको में से किसी एक को इसकी जिम्मेदारी मिल सकती है.