नारायणपुर। छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। इसी क्रम में आज “पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन” पहल के तहत जिला नारायणपुर में बड़ी सफलता मिली, जहां कुल 28 माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें से 19 महिला माओवादी भी शामिल हैं, जिन पर कुल 89 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

माओवादी कैडरों के कई स्तरों के सदस्यों ने किया सरेंडर

आज पुनर्वास हुए 28 माओवादी कैडरों में निम्न स्तरों के सदस्य शामिल हैं, जो इस प्रकार है –

▪ Maad Division DVCM Member
▪ PLGA कंपनी नंबर 06 के मिलिट्री सदस्य
▪ एरिया कमेटी सदस्य (ACM)
▪ टेक्निकल टीम सदस्य
▪ मिलिट्री प्लाटून PPCM
▪ मिलिट्री प्लाटून सदस्य
▪ SZCM भास्कर की गार्ड टीम — पार्टी सदस्य (PM)
▪ सप्लाई टीम सदस्य (PM)
▪ एलओएस सदस्य (PM)
▪ जनताना सरकार के सदस्य

हथियारों के साथ किया पुनर्वास

पुनर्वास के दौरान 3 माओवादी कैडरों ने अपने पास रखे SLR, INSAS और 303 रायफल भी सुरक्षा बलों को सौंप दिए। यह हिंसा से दूरी बनाने और कानून व्यवस्था पर विश्वास का एक स्पष्ट और सकारात्मक संकेत है।

2025 में अब तक 287 माओवादी आत्मसमर्पित

नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रोबिन्सन गुड़िया ने बताया कि आज की कार्रवाई के बाद वर्ष 2025 में जिले में अब तक 287 माओवादी कैडर हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं।

माओवादी विचारधारा का अंत अब निकट : बस्तर IG

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पत्तिलिंगम ने कहा कि नारायणपुर में 28 माओवादी कैडरों का पुनर्वास यह दर्शाता है कि हिंसक और जनविरोधी माओवादी विचारधारा का अंत अब निकट है। लोग ‘पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन’ पहल पर भरोसा जताते हुए शांति, गरिमा और स्थायी प्रगति का मार्ग चुन रहे हैं।

छत्तीसगढ़ शासन, भारत सरकार, बस्तर पुलिस, स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बल क्षेत्र में शांति स्थापित करने, पुनर्वास सुनिश्चित करने और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं। यह उल्लेखनीय है कि पिछले 50 दिनों में बस्तर रेंज में 512 से अधिक माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा से जुड़ने का निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि शेष माओवादी कैडर जिनमें Politburo सदस्य देवजी, Central Committee सदस्य रामदर, DKSZC सदस्य पाप्पा राव, देवा (Barse Deva) तथा अन्य शामिल हैं। उनके पास हिंसा त्यागकर मुख्यधारा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।