जयपुर। राजस्थान परिवहन विभाग में थ्री-डिजिट वीआईपी नंबरों के फर्जी आवंटन मामले में अब बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है. राजस्थान में पहली बार जयपुर आरटीओ प्रथम ने इस घोटाले पर सख्त कदम उठाते हुए जयपुर में फर्जी तरीके से बेचे गए 2129 वाहनों की आरसी ब्लैकलिस्ट कर दी है. संबंधित वाहन स्वामियों को नोटिस जारी किए गए हैं.

परिवहन विभाग के अनुसार, सभी ब्लैकलिस्ट किए गए वाहनों के दस्तावेजों का अनिवार्य रूप से भौतिक सत्यापन किया जाएगा. वैध दस्तावेज पाए जाने पर ही आरसी बहाल होगी, जबकि दस्तावेज अवैध पाए जाने की स्थिति में आरसी निरस्त करने के साथ वाहन स्वामियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
24 से 26 दिसंबर तक जगतपुरा आरटीओ में जांच
जयपुर आरटीओ प्रथम राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि ब्लैकलिस्ट किए गए वाहनों का 24, 25 और 26 दिसंबर को जगतपुरा स्थित आरटीओ कार्यालय में अनिवार्य फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि प्रदेशभर में करीब 10 हजार वाहनों में फर्जी बैकलॉग का मामला सामने आया है, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है.
इन सीरीज के नंबरों की आरसी ब्लैकलिस्ट
आरटीओ की ओर से कई सीरीज के थ्री-डिजिट नंबरों की आरसी ब्लैकलिस्ट की गई है, जिनमें RJA, RJI, RIQ, RJY, RNH, RPA, RRF, RSG, RJB, RJR, RNI, RNA, RPE, RRJ, RSS, RJD, RNB, RNV, RPF, RRA, RSK, RJE, RJU, RNC, RPH, RRL, RSB सहित अन्य कई सीरीज शामिल हैं.
विधायक, सांसद और अफसरों के रिश्तेदारों को मिले वीआईपी नंबर
जांच में सामने आया है कि थ्री-डिजिट वीआईपी नंबरों का फर्जी आवंटन पूर्व व वर्तमान विधायक, सांसद, अफसर और व्यवसायियों के रिश्तेदारों को किया गया. अब सवाल यह है कि क्या इन प्रभावशाली लोगों पर भी कार्रवाई होगी.
पत्रिका की रिपोर्ट से हुआ था खुलासा
इस चर्चित घोटाले का खुलासा सबसे पहले राजस्थान पत्रिका ने किया था. इसके बाद परिवहन विभाग, ईडी और एसीबी की ओर से अलग-अलग स्तर पर जांच और कार्रवाई की जा रही है. अब तक करीब 450 अफसर और कार्मिकों को दोषी पाया गया है. जयपुर में सबसे ज्यादा 32 प्रकरण दर्ज किए गए हैं. जांच में यह भी सामने आया है कि इस घोटाले से सरकार को लगभग 500 से 600 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है.
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