रायपुर.  प्रदेश में हाथियों के मौत की  बढ़ती संख्या को लेकर उच्च न्यायालय सख्त हो गया है. दरअसल प्रदेश में  बिजली करेंट से हाथियों के मरने के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश अजय कुमार त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर की युगल पीठ ने जनहित याचिका स्वीकार कर ली है.

इसके बाद कोर्ट ने सचिव वन विभाग, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) मैनेजिंग डायरेक्टर छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कंपनी, डायेक्टर प्रोजेक्ट ऐलीफेन्ट पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ट्रांसमिशन कंपनी तथा ऊर्जा विभाग को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब  मांगा है. इस संबंध में रायपुर के  नितिन सिंघवी द्वारा दायर जनहित याचिका में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में 2005 से मार्च 2017 तक 103 हाथियों की मौतें हुई. जिसमें से 34 हाथियों की मौत बिजली करेंट से हुई है. इन 34 मौतों में कुछ क्षेत्र में बिजली की लाइन अत्यंत नीचे होने के कारण और कुछ मौतें ग्रामीणों द्वारा तारों में बिजली प्रवाह करने के कारण हुई है.

धरमजयगढ़ वन मंडल के नारंगी वन क्षेत्र में अत्यंत नीचे होकर गुजर रही 11000 वोल्टेज हाईटेंशन लाईन को ठीक करने के लिये वन विभाग 2012 से छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी को पत्र लिख रहा है, वहां पर पानी पीने के लिये तालाब की मेड़ पर चढ़ रहे हाथी के सिर का हाईटेंशन लाइन छू जाने से मौत हो गई थी.

वन विभाग 2012 से लगातार सरगुजा क्षेत्र में बिजली लाइनाों को ऊंचा करने और केबलिंग की मांग कर रहा है।. 23 जनवरी 2015 को राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में भी हाथियों की करेंट से मौतों पर चर्चा भी हो चुकी है. याचिका में मांग की गई है कि हाथियों को बिजली करेंट से बचाने के लिये हाथी रहवासी वनों में बिजली तारों को मानक ऊंचाई करने किया जाए.