रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में मतदान के बाद राजनीतिक दलों की उलझन बहुत ज्यादा बढ़ गई है. कोई भी पार्टी स्पष्ट तौर पर सीटों का सही आंकलन नहीं कर पा रही है. क्योंकि 4 मंत्री अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, केदार कश्यप और महेश गागड़ा की सीट पर मतदान प्रतिशत तो बढ़ लेकिन सीएम रमन सिंह वाली सीट सहित 65 सीटों में वोट परसेंट घट गए हैं.   हालांकि सभी दलों के अपने-अपने दावे पूर्ण बहुमत ही नहीं बल्कि 50 प्लस और 60 प्लस तक के हैं. लेकिन 2013 के मुकाबले 1 प्रतिशत वोटों की आई कमी ने सभी पार्टियों की मुश्किलें बढ़ा दी है. खास तौर पर परिवर्तन लहर से उत्साहित कांग्रेस को भले यह मान रही है कि सरकार उनकी बन रही है लेकिन वोटों के प्रतिशत कम होने से वह भी चिंतित है.

वैसे चिंता स्वभाविक भी है. क्योंकि 2013 के चुनाव में कांग्रेस को भाजपा से 1 प्रतिशत वोट कम मिले थे. और 2018 के इस चुनाव में 1 प्रतिशत वोट कम पड़ गए हैं. मतलब विपक्ष के लिहाज से देखें तो 2 प्रतिशत वोट कम मानकर चलिए.  चूंकि 2018 के इस चुनाव में बसपा के साथ जनता कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी थी लिहाजा वोट प्रतिशत बढ़ेगा ऐसी उम्मीद सभी को थी. लेकिन मतदान का प्रतिशत बजाए बढ़ने के घट ही गए. इसमें अगर 2018 और 2013 में हुए चुनाव का सीटवार विश्लेषण करेंगे तो पता चलता है कि 65 सीटों पर वोट का परसेंट कम हुआ जबकि 24 सीटों पर वोट का परसेंट बढ़ा है वहीं 1 सीट पर मतदान बीते चुनाव के मत प्रतिशत के बराबर रहा है.

आइए आपको बताते हैं कि किन 24 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के वोट प्रतिशत इस चुनाव में बढ़े हैं-

                                             2018                2013
मनेन्द्रगढ़(भाजपा)-                74.03  –          71.74
बैंकूठपुर(भाजपा)-                   81.18              79.27
प्रेमनगर(कांग्रेस) –                  82.66            81.85
भटगांव(कांग्रेस)-                    76.90             80.61
खरसिया(कांग्रेस)-                  86.81            86.35
कोरबा(कांग्रेस)-                      71.56              69.96
कटघोरा(भाजपा)-                   77.65             74.61
पालीतानाखार(कांग्रेस)-           81.89            80.38
बिलासपुर(भाजपा)-                 61.33            60.07
बसना(भाजपा)-                       85.37           84.18
राजिम(भाजपा)-                     82.86           81.61
बिंद्रानवागढ़(भाजपा)-            85.74            83.66
सिहावा(भाजपा)-                   82.85            81.95
कुरुद(भाजपा)-                     88.99            88.65
दुर्ग शहर(कांग्रेस)-                68.23           68.08
भिलाई नगर(भाजपा)-          66.96           63.81
वैशालीनगर(भाजपा)-          65.57            59.95
कवर्धा(भाजपा)-                  82.09            81.68
खैरागढ़(कांग्रेस)-                84.31            84.04
नारायणपुर(भाजाप)-        74.40             70.18
जगदलपुर(भाजपा)-         78.24             73.21
चित्रकोट(कांग्रेस)-            80.31             78.09
बीजापुर(भाजपा)-            48.49            44.68
कोंटा(कांग्रेस)-                 55.30             48.37

वहीं कांग्रेस की कब्जे वाली सीट अभनपुर पर मत प्रतिशत बराबर रहा. यहां 2013 में 84.04 वोट परसेंट था 2018 में यही वोट प्रतिशत है.

इस तरह देखें तो भाजपा की कब्जे वाली 15 सीटों पर मत प्रतिशत बढ़े हैं, जबकि कांग्रेस की कब्जे वाली 9 सीटों पर वोटों का परसेंट बढ़ा है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि चुनाव आयोग के तमाम जागरूकता कार्यक्रमों और जनता कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी की ओर से पहली बार चुनाव लड़ने के बावजूद 65 सीटों पर वोट प्रतिशत 2013 के चुनाव के मुकाबले घट गए. यही वजह है कि 24 सीटों में वोट प्रतिशत बढ़ने के बाद भी औसत आंकड़ा 1 प्रतिशत बीते चुनाव की तुलना में कम ही रहा. ऐसे में जिन 65 सीटों में वोट प्रतिशत कम हुए हैं नए समीकरणों के बीच फायदा किस दल को होगा? वोट प्रतिशत घटने से फायदा बीजेपी को होगा या फिर कांग्रेस को यह 11 दिसंबर को नतीजे वाले दिन पता चलेगा.