रायपुर। मनरेगा के तहत अब प्रदेश के सभी धान उपार्जन केन्द्रों में चबूतरों का निर्माण किया जाएगा. पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव सभी जिला पंचायत अध्यक्षों को इसे लेकर पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने बताया है कि प्रदेश के 1307 धान उपार्जन केन्द्रों में 4622 चबूतरा निर्माण किया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत 9244 लाख रुपये की स्वीकृति दे दी गई है. उऩ्होंने पत्र में जिला पंचायत अध्यक्षों को यह कार्य शीघ्र पूर्ण करने कहा है.

इसके साथ ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने भी सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर चबूतरे निर्माण के लिए दिशा निर्देश जारी किया है. उन्होंने चबूतरों का निर्माण 30 जून तक पूरा करने के निर्देश दिये हैं. इसके साथ ही उऩ्होंने चबूतरा निर्माण के लिए रेत, मुरुम और ईंट की खरीदी स्व सहायता समूहों या फिर शासकीय योजनाओं के तहत वित्त पोषित इकाई से करने के लिए कहा है. जिससे स्व सहायता समूह या शासकीय योजनाओं के लाभार्थियों के लिए आय का जरिया बन सके.

प्रमुख सचिव ने पत्र में यह लिखा है

आप अवगत हैं कि छत्तीसगढ़ में 1,333 प्राथमिक समितियों के माध्यम से प्रति वर्ष बड़ी मात्रा में धान उपार्जन किया जाता है. उपार्जन के लिये फड तैयार किये जाने की स्थानीय व्यवस्था है, परन्तु विभिन्न समय पर वर्षा, ओलावृष्टि, कीट, चूहे आदि के प्रकोप एवं अन्य कारणों से उपार्जित धान की गणवत्ता प्रभावित होती है.

इस संबंध में खाद्य विभाग से हई चर्चा के अनुक्रम में प्राप्त पत्र के अधार पर राज्य शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि महात्मा गांधी नरेगा योजना के अन्तर्गत अभिसरण के माध्यम से धान उपार्जन केन्द्रों में चबूतरों का निर्माण किया जाए, जिससे धान संग्रहण का कार्य प्रभावी तरीके से किया जा सके. इस हेतु राज्य शासन द्वारा संलग्न सूची के अनुसार 1,307 उपार्जन केन्द्रों में 4,622 चबूतरों के निर्माण हेतु सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की जाती है. चबूतरों के निर्माण हेतु तीन प्रकार के मानक प्राक्कलन एवं डिजाईन विभाग द्वारा दिए गए हैं, जो इस पत्र के साथ संलग्न हैं.

कृपया तदनुसार चबूतरों के निर्माण हेतु योजना के प्रावधानों के अनुसार तत्काल कार्यवाही करें और यह निर्माण किसी भी स्थिति में 30 जून, 2020 तक पूर्ण किया जाना सुनिश्चित करें.

निर्माण स्थल की परिस्थितियों को देखते हुए मुरम, रेत या ईटों से चबूतरों का निर्माण किया जा सकता है. यदि ईटों का उपयोग किया जाए तो यथा संभव इनका क्रय किसी स्व-सहायता समूह अथवा किसी शासकीय योजना से वित्त पोषित ईकाई से ही किया जाए, जिससे हमारे स्व-सहायता समूहों/शासकीय योजनाओं के लाभार्थियों के लिये आय का साधन बन सके.

इसके अतिरिक्त करोना महामारी से संबंधित विभाग द्वारा पूर्व में जारी किये गये निर्देशों का पालन किया जाए तथा जिला स्तर पर मजदूरी एवं सामग्री का अनुपात 60 : 40 का बनाये रखे जाने का विशेष ध्यान रखा जाए. सभी संबंधित जिले दिनांक 01 जुलाई, 2020 को उनके जिले हेतु स्वीकत कार्यों का पूर्णता प्रमाण-पत्र अधोहस्ताक्षरी को उपलब्ध कराएंगे.