रायपुर.असामान्य व्यवहार वाले जंगली हाथियों को नियंत्रित करने के लिए आज कर्नाटक से पांच प्रशिक्षित हाथी लाये गये हैं. इन प्रशिक्षित हाथियों को कुंकी हाथी के नाम से जाना जाता है.फिलहाल इन हाथियों को महासमुंद वनमण्डल के सिरपुर कैम्प में रखा जाएगा. राज्य सरकार द्वारा महासमुंद और बलौदाबाजार वन मण्डल को हाथी मुक्त जोन बनाने का नीतिगत निर्णय लिया गया है.

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पांच  कुंकी हाथियों में दो मादा और तीन नर हाथी शामिल हैं. मादा हाथियों का नाम गंगे और योगलक्ष्मी तथा नर हाथियों का नाम- तीरथराम, परशुराम और दुर्योधन है. हाथियों के साथ कर्नाटक से 8 महावत तथा कवाड़ी भी आए हैं, जो यहां लगभग एक महीने अथवा हाथियों के बदले हुए परिवेश में सहज होने तक साथ रहेंगे. कुंकी हाथियों के बारे में प्रशिक्षण लेने गए छत्तीसगढ़ के हाथी मित्र दल के सभी सदस्य भी इन हाथियों के साथ वापस आ गए हैं.

गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से  हाथी मित्र दल के 9 सदस्य पिछले 5 माह से कर्नाटक राज्य के दुबारे  एवं मतिगोडु एलीफेण्ट कैम्पों में रहकर कुंकी हाथियों के प्रबंधन का प्रशिक्षण प्राप्त किए हैं.सरगुजा के मुख्य वन संरक्षक के.के.बिसेन और सरगुजा हाथी रिजर्व के सीसीएफ सी.एस.तिवारी के संयुक्त नेतृत्व में वन विभाग के 36 लोगों का दल इन हाथियों को लाने कर्नाटक भेजा गया था. इनमें वेटेरिनरी डॉक्टर जडिया और डॉक्टर चन्दन, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मीनारायण एवं डॉक्टर अंकित शामिल थे.

राज्य में जंगली हाथियों के प्रबंधन हेतु लिए गए निर्णय के अनुसार महासमुंद और बलौदाबाजार जिलों को हाथीमुक्त जोन बनाने का फैसला लिया गया है. कुंकी हाथियों की मदद से इन क्षेत्रों में असामान्य व्यवहार करने वाले हाथियों को पकड़कर रेडियो कॉलर किए जाने की योजना है. इसके साथ ही ऐसे मादा हाथी, जो दल का नेतृत्व करती हैं, उनको भी रेडियो कॉलर करने की योजना है. भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के सहयोग से रेडियो कॉलर लगाया जाएगा. यह रेडियो कॉलर दक्षिण अफ्रीका से खरीदा गया है. उन्होंने बताया कि एक रेडियो कॉलर पर लगभग ढाई लाख का व्यय संभावित है तथा इसके बाद डाटा के उपयोग के लिए लागत लगभग एक लाख हर साल आएगा. रेडियो कालर से निकलने वाली तरंगे सीधे सेटेलाईट पर पहुंचेगी जो कि वहां से परावर्तित होकर क्षेत्र में स्थापित रिसिवर पर प्राप्त होंगी, जिससे हाथियों के वनों में विचरण  की वास्तविक स्थिति का पता वन अमले को चल सकेगा. इससे जान-माल को हानि पहुंचाने से रोका जा सकेगा.अब देखना होगा ये कुंकी हाथी पूरे प्रदेश में उत्पात मचा रहे दंतैल हाथियों को नियंत्रित करने में कितना कामयाब हो पाते हैं.