पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. जिले के किडनी प्रभावित सुपेबेड़ा में आज फिर एक महिला की मौत हो गयी है. सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से एक सप्ताह में ये दूसरी मौत है. 29 अप्रैल को पदमनी बाई की मेकाहारा में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी और आज भोजनी बाई की मौत के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा है. गांव में अब तक किडनी की बीमारी से 61 लोगों की मौत हो चुकी है, मौत का ये सिलसिला पिछले डेढ़ साल से निरंतर जारी है.
शासन द्वारा ग्रामीणों को बेहतर इलाज और बीमारी की रोकथाम के लिए अब तक कई आश्वासन दिये गये, लेकिन उनका असर गांव में कहीं भी देखने को नहीं मिल रहा है. अब तो हालात इतने बदतर हो गये है कि ग्रामीणों ने सरकार पर विश्वास करना भी बंद कर दिया है. लोग भगवान भरोसे जीने को मजबूर है.
दो दिन पहले भोजनी बाई की तबियत बिगडने पर उसे देवभोग सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पीड़ित की नाजुक हालत देखकर डॉक्टरों ने उसे मेकाहारा ले जाने की सलाह दी थी. लेकिन परिजनों ने मेकाहारा जाने से ये कहते हुए इंकार कर दिया कि उन्हें मेकाहारा के इलाज पर भरोसा नहीं है. परिजन भोजनी बाई को मेकाहारा ले जाने की बजाय घर ले गये. दो दिन जिंदगी और मौत से लडने के बाद आज भोजनी बाई की मौत हो गयी.
इस घटना से बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुपेबेड़ा के लोगों में मेकाहारा के इलाज के प्रति कितनी बड़ी बात घर कर गयी है. लोग मरने को तैयार है लेकिन इलाज के लिए मेकाहारा जाने को तैयार नहीं है, ग्रामीणों ने अब सीधे सीधे सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाना शुरू कर दिया है.