रायपुर। जिस आदिवासी वोट बैंक के बूते 2003 और 2008 में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में सरकार बनाई, अब उसी वोट बैंक को एक बार फिर साधने की कवायद में पार्टी जुट गई है. बीजेपी प्रदेश कार्यालय में आज हुई प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा की बैठक में आदिवासी सीटों को जीतने की रणनीति पर चर्चा की गई. खासतौर पर संगठन की नजर उन सीटों पर हैं, जहां पिछले चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. अपनी खोई हुई जमीन को मजबूत करने की रणनीति पर भी संगठन के आला नेताओं के बीच रायशुमारी की गई.

दरअसल आदिवासी वोट बैंक को साधने की जरूरत इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 65 सीट जीतने का बड़ा लक्ष्य प्रदेश संगठन को दिया है. साल 2013 के चुनाव में उस आदिवासी तबके ने बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया था, जिसके सहारे संगठन दो बार सत्ता की दहलीज पर जा पहुंचा था. बस्तर की 12 में से 8 सीटों पर संगठन को करारी हार मिली थी, तो वहीं सरगुजा संभाग की 14 सीटों में से सात पर बीजेपी और सात पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. जबकि यही वो सीटें थी, जहां 2003 और 2008 के चुनावों में बीजेपी का वर्चस्व रहा है.

बीजेपी प्रदेश कार्यालय में आज हुई प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा की बैठक में सीटों के गणित पर मंथन किया गया. संगठन ने तय किया है कि 65 प्लस सीटें जीतने के लिए आदिवासी बहुल 29 सीटें जीतनी बेहद जरूरी है. लिहाजा पूरी ताकत झोंककर आदिवासी बहुल इलाकों में संगठन की पैठ वक्त रहते गहरी की जा सके. बैठक के बाद मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने कहा कि-

बीजेपी मिशन 65 + पर फोकस कर रही है. अनुसूचित जनजाति की बैठक में तमाम पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों और महामंत्रियों को लक्ष्य दिया गया है. बस्तर और सरगुजा पर हम फोकस करेंगे. जो सीटे हाथ से निकल गई थी, उसे वापस लाया जाएगा. इन्हीं सीटों की बदौलत हम 65 + सीटों तक पहुंचने की स्थिति में रहेंगे. आदिवासी कल्याण के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं. बस्तर विकास प्राधिकरण, सरगुजा विकास प्राधिकरण के जरिए विकास की गति तेज की गई. आदिवासी क्षेत्रों में तकनीकी शिक्षा, आईटीआई, पाॅलीटेक्निक शुरू किए गए. एजुकेशन हब बनाया गया. ये एक चमत्कार है. आदिवासी इलाकों में सैकड़ों करोड़ रूपए की सड़क निर्माण की परियोजनाएं चल रही हैं. स्काई योजना के जरिए लोगों को जोड़ रहे हैं. प्रयास के जरिए एनआईटी जैसे संस्थानों में आदिवासी बच्चों का प्रवेश हो रहा है. ये तमाम चीजें चमत्कार से कम नहीं है. हमने लघु वनोपज खरीदी की व्यवस्था की है. बोनस की राशि दी जा रही है. 3 लाख 50 हजार से ज्यादा पट्टे बांटे गए हैं. ना केवल पट्टे दिए गए बल्कि विकसित भी किया गया. सहकारी बैंकों से बीज और खाद्य की व्यवस्था की गई. उनके लिए पंप लगाए गए. छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति के किसान को पंप का बिल नहीं देना पड़ता. जीवन भर निशुल्क बिजली दी जाती है. सोलर पंप में चार लाख की सब्सिडी दी जा रही है. इन्हीं तमाम योजनाओं को लेकर हम आदिवासी वर्ग के लोगों के बीच जाएंगे, तो निश्चित तौर पर जनाधा बढ़ेगा. हम बेहतर स्थिति में रहेंगे. संगठन को ये लक्ष्य लेकर चलना है कि बोनस के बाद प्रदेश में कैसा वातावरण बना. 65+ नारा रहेगा और 65+ सीट यहाँ पर लाएंगे. अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने आज ये संकल्प लिया है.