ऐसे उदाहरण तो कई होंगे कि एक ही विधानसभा के एक ही शहर से कई जनप्रतिनिधि चुने गए हों, लेकिन विंध्य के सतना शहर में एक छोटा सा क्षेत्र ऐसा भी है, जहां से 8 लोग सांसद-विधायक बने. इनमें से तीन विधायक तो एक-दूसरे के पड़ोसी हैं.
सतना. इससे भी खास यह कि शहर की पुरानी बसाहट के मध्य स्थित प्रणामी संप्रदाय के मंदिर के 200 मीटर के दायरे में पैदा हुए ये 8 लोग अब तक 13 बार सतना विधानसभा, लोकसभा और 3 बार जिले की ही अमरपाटन, चित्रकूट विधानसभा से यानी कुल 16 बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंच चुके हैं. इन 8 में से 5 विधायक तो मंत्री भी रहे, 2 विधानसभा स्पीकर रहे और एक गुलशेर अहमद राज्यपाल भी बने.
- स्व. शिवानंद देश के पहले आम चुनाव 1952 और 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सतना विधायक रहे. इनका घर प्रणामी मंदिर के पीछे वाली गली में है. वे तत्कालीन विंध्य सरकार में स्पीकर भी रहे.
- स्व. कांताबेन पारीख भी 1967 और 1972 में कांग्रेस से विधायक बनीं. इनका घर मंदिर के ठीक सामने वाली में वर्तमान भाजपा विधायक शंकरलाल तिवारी के ठीक बगल में है. तिवारी इस बार भी मैदान में हैं.
- मंदिर से लगभग 200 मीटर दूर लालता चौक के लालता प्रसाद खरे न सिर्फ 1980 और 1985 में विधायक बने, बल्कि प्रदेश के उद्योग राज्यमंत्री भी रहे. चौक का नाम लालता उन्हीं के नाम पर है.
- बैरिस्टर स्व. गुलशेर अहमद का पुराना निवास चांदनी टॉकीज कंपाउंड में था. वे दो बार अमरपाटन से विधायक, कानून मंत्री तथा स्पीकर भी रहे. राज्यसभा गए और हिमाचल के राज्यपाल भी बने.
- गुलशेर के बेटे सईद अहमद भी इसी कंपाउंड में जन्मे 1998 में विधायक बनकर वित्त राज्यमंत्री भी बने. हालांकि अब उनका परिवार कंपाउंड छोड़ चुका है.
- स्व. बृजेंद्र पाठक ने भी 1990 और 93 में दो बार सतना का प्रतिनिधित्व किया और मंत्री भी बने. 80 वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार चिंतामणि कहते हैं कि देखा जाए तो प्रणामी मंदिर के सामने वाली गली ने सतना को 2 नहीं 3 विधायक दिए हैं.
- स्व. रामानंद सिंह दो बार सतना से भाजपा सांसद और एक बार विधायक बने. इसके पहले 1977 में चित्रकूट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इनके पास वन मंत्रालय भी रहा.