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सुप्रिया पांडेय, रायपुर। धर्मांतरण का 70% कारण राजनीतिक दलों की विफलता और 30% विदेशी ताकतों की भूमिका है. शासन की दिशाहीनता धर्मांतरण का कारण है. क्रिश्चन तालिबानी शासन में धर्मांतरण करवाने के लिए नहीं जा सकते हैं. यह बात जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कही.
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने अपने बेबाक अंदाज में प्रदेश में गर्म धर्मान्तरण के मुद्दे पर मीडिया से चर्चा की. उन्होंने कहा कि अगर किसी समस्या के कारण धर्मांतरण है, तो सामाजिक और राजनीतिक संस्थानों की तरफ से उसका हल क्यों नहीं किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के सामने कोई टिक नहीं सकता है. एक समय के बाद जो धर्मांतरण करवा रहे हैं, जिनका धर्मांतरण हुआ है, वो आने वाले समय में हिन्दू ही होंगे.
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि राजनीति के नाम पर सिर्फ उन्माद तंत्र है. कोई भी राजनीतिक दल प्रदेश में ऐसा नहीं है, जो सत्ता लोलुपता और लालच से मुक्त हो. 98% चुनाव में हथकंडों से जीतते हैं, उन्हें राजनेता नहीं कहा जा सकता. वहीं किसान आंदोलन पर उन्होंने कहा कि देश में किसानों के नाम से बहुत से प्रधानमंत्री आए हैं. लेकिन सत्ता में आने के बाद सब भूल जाते हैं. किसान भी दिशा हीन हो रहे हैं.
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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे नरेंद्र गिरी की मौत पर शंकराचार्य ने कहा कि जो भी हुआ वह दुखद है. चाहे जिस भी कारण से हो.
फिलहाल, जांच चल रही है. इस पर ज्यादा नहीं बोलूंगा. यही कहूंगा कि संत समाज को धर्म के ठेकेदारों से दूर रहना चाहिए. इसके साथ छत्तीसगढ़ में शराबबंदी पर स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि इस दिशा में सरकार के साथ समाज को भी सोचना होगा. गोवंश पर बोले गो तस्करी पर लगाम लगनी चाहिए. गो हत्या बंद होनी चाहिए.
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