कानपुर. कानपुर डेवलप्मेंट अथॉरिटी (केडीए) अफसरों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के घर जाने वाली सड़क कागजों पर ही बना डाली. इतना ही नहीं सड़क बनाने के लिए किसान से अधिग्रहित की गई जमीन के बदले बतौर मुआवजा 72 करोड़ भुगतान के निर्देश भी दे दिए. जांच हुई तो जमीन पर दो किसानों का कब्जा मिला और 72 करोड़ हड़पने की साजिश का खुलासा हुआ. मामले में केडीए वीसी ने पांच अमीनों को निलंबित कर दिया है. तीन तहसीलदार, तीन इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है.
मामला दयानंद विहार और इंदिरा नगर के बीच से मकड़ीखेड़ा जाने वाली रोड का है. जीटी रोड पर कल्याणपुर इलाके में बसाई गई इंदिरा नगर आवासीय योजना में बैरी अकबरपुर बांगर की अराजी संख्या 1098 (रकबा 5838.76 वर्गमीटर) की जमीन केडीए की नहीं थी. वर्ष 2003 में किसानों द्वारा वैकल्पिक जमीन देकर यहां की जमीन पर रोड बनाने के सहमति शपथ-पत्र के बाद प्रस्ताव जरूर बना, लेकिन सड़क ही नहीं बनाई गई.
इन पर गिरी गाज
जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद अमीन संतोष कुमार, रामलाल, अंकुर पाल, रमेशचंद्र प्रजापति और सोहनलाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. इसके साथ ही पूर्व तहसीलदार बीएल पाल, पूर्व तहसीलदार किशोर गुप्ता और मौजूदा तहसीलदार प्रदीप रमन के खिलाफ आरोप पत्र गठित करते हुए आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद को विभागीय कार्रवाई के लिए प्रेषित किया है. इसी तरह अभियंत्रण के पूर्व अधिकारियों में अधीक्षण अभियंता केके पांडेय, अधिशासी अभियंता आरके गुप्ता एवं सहायक अभियंता अजीत कुमार के खिलाफ आरोप पत्र गठित करते हुए प्रमुख सचिव एवं शहरी नियोजन को विभागीय कार्रवाई के लिए प्रेषित किया गया है. इन सभी का निलंबित होना लगभग तय है. वीसी ने बताया कि अभी कई और तथ्य सामने आ सकते हैं. संविदा पर रखे गए तहसीलदार मन्र्ना सिंह को केडीए से हटा दिया गया है. स्थलीय निरीक्षण से लेकर अभिलेखीय परीक्षण की झूठी रिपोर्ट तैयार की जाती रही.