रायपुर। बिजली विभाग द्वारा महासमुंद के एक किसान को  75 करोड़ से ज्यादा का बिल थमाने के मामले के तूल पकड़ने के बाद बिजली विभाग ने अपने दो कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है. विभाग द्वारा इस मामले में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सफाई दी गई. विभाग का कहना है कि मानवीय भूल के कारण कभी-कभी त्रुटिपूर्ण बिल जारी हो जाता है. विभाग का कहना है कि जो त्रुटि है वह मीटर बदलने की एंट्री में गलती के कारण हुई है. 4 अगस्त 2017 को उपभोक्ता का पुराना खराब मीटर बदला गया था. बदले जाने वाले पुराने मीटर की वास्तविक आखिरी रीडिंग की सिस्टम में एंट्री नहीं की गई, जिसकी वजह से सितम्बर माह का बिजली बिल त्रुटिपूर्ण जनरेट हो गया. विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बड़ी रकम की इंट्री करते समय बिलिंग सिस्टम द्वारा पुनर्चेकिंग का संकेत दिया जाता है.
सिस्टम द्वारा दिये जा रहे संकेत को नहीं देखने की लापरवाही पर दो लिपिक गरूड़ कुमार प्रधान एवं दोज कुमार देवांगन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और उपभोक्ता के बिल में सुधार कर उसे रूपये 1820 रुपए का बिजली बिल जारी किया गया।
डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक अंकित आनंद ने बताया कि डाटा एंट्री सही हो इसे सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम में ‘चेक वार्निंग’ का प्रावधान है. जिसे संबंधित कर्मचारी द्वारा अनदेखा कर दिया गया, फलस्वरूप अप्रत्याशित रूप से विद्युत देयक अधिक राशि का जारी हो गया. उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी त्रुटि न हो इसे सुनिश्चित करने हेतु सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को सजग रहने के अलावा समय-समय पर बिलिंग प्रोसेस की आकस्मिक जांच एवं समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं.
यह था मामला
आपको बता दें कि बसना ब्लॉक के बड़े साजापाली के राम प्रसाद नाम के व्यक्ति के घर बिजली विभाग द्वारा  75 करोड़ 59 लाख 60 हज़ार 770 रुपये का बिल थमाया गया था. नियत तिथि तक बिल न पटाने पर उन्हें सवा करोड़ रुपए फाइन के साथ 76 करोड़ 73 लाख 180 रुपये पटाने का आदेश जारी किया गया था. जबकि बिजली बिल में पिछले महीने का उनका बकाया 637 रुपये थी. एक गरीब किसान को जब ये बिल मिला तो उसके होश उड़ गए. पूरा परिवार सदमे में आ गया. फिर बिजली विभाग के पास परिवार पहुंचा तो बिल को सुधारा गया. 75 करोड़ से घटकर बिल करीब 1800 रुपये का हो गया.