अरविन्द मिश्रा, बलौदाबाजार। सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार और दावा चाहे जितने बड़े हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। बलौदाबाजार जिले के पलारी विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत बिनौरी निवासी पुरुषोत्तम कुर्रे बीते 11 वर्षों से दिव्यांगों को दिए जाने वाले पेंशन से वंचित हैं। 80% दिव्यांगता प्रमाणपत्र होने के बावजूद उन्हें अब तक इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है। वहीं जब ये कलेक्टर से मिलने पहुंचे तो इन्हें ऊपर कलेक्टर से मिलने जाने साइकिल भी नहीं मिली जबकि कलेक्टर कार्यालय में सामानों को ढोने इस साइकिल का उपयोग करते देखा जा सकता है।


पुरुषोत्तम कुर्रे का कहना है कि उन्होंने कई बार पंचायत, जनपद और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन हर बार आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। वे बार-बार कार्यालयों के चक्कर काटते हैं, लेकिन न तो आवेदन की कोई स्थिति बताई जाती है और न ही कोई ठोस कार्रवाई होती है। उन्होंने बताया कि 2014 में उन्होंने विकलांग पेंशन के लिए आवेदन किया था। उसके बाद से कई बार दस्तावेज जमा किए गए, निवेदन किया गया, लेकिन अभी तक एक रुपये भी पेंशन के रूप में नहीं मिला।

“दफ्तर जाओ तो कहते हैं कोई कहता है ऑनलाइन एंट्री नहीं हुई है तो सर्वेक्षण सूची में नाम नहीं है। कलेक्टर कार्यालय में भी दो बार आ चुका हूं पर कलेक्टर से नहीं मिल पाया हूं। डरते-डरते अधिकारियों से बात करता हूं, कहीं भगा न दें,” – पीड़ित पुरुषोत्तम कुर्रे की पीड़ा स्पष्ट झलकती है।
प्रशासन की इस लचर व्यवस्था का शिकार पुरुषोत्तम जैसे कितने दिव्यांग भुगत रहे हैं, यह तो वही बता सकेंगे। शासन दावे बहुत करता है, पर योजनाएं कागजों तक ही सीमित रह जाती हैं। एक ओर सरकार दिव्यांगजन सशक्तिकरण की बात करती है, वहीं पुरुषोत्तम कुर्रे की पीड़ा कुछ अलग ही बात कहती नजर आती है।
दिव्यांग पुरुषोत्तम कुर्रे इस बार कलेक्टर दीपक सोनी से मिलकर अपनी पीड़ा बताई है, जिस पर कलेक्टर ने समाज कल्याण विभाग को तत्काल जांच कर सहायता देने को कहा है। देखना होगा कि कितनी जल्दी प्रशासन पीड़ित की पीड़ा दूर करता है। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग की उप संचालक सोनवती गोयल ने कहा कि आज जनदर्शन में आवेदन मिला है, जांच कर पता करेंगे कहां चूक हुई है और उसे दूर करेंगे।
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