रायपुर। ये तस्वीर कुछ नहीं सबकुछ कहती है. ईंटों के बीच से झांकती रेत चीख-चीख कर अपने साथ हुए भष्टाचार की कहानी कह रही है. ये तस्वीर बता रही है कि जिन अधिकारियों के ज़िम्मे इसके निर्माण का ज़िम्मा है वो सब गुनेहगार की हद तक लापरवाह या लापरवाही के अंदाज़ में गुनेहगार हैं. कुछ दिन बाद ढलाई हो जाएगी. रेतों को प्लास्टर चढ़ाकर छिपा दिया जाएगा. ठेकेदार को उसका पेमेंट और अधिकारी को उसका हिस्सा मिल जाएगा. लेकिन फिर क्या होगा. फिर जो होगा उसकी कल्पना भी खतरनाक है.

सोचिए इस स्कूल में जब कभी बच्चे पढ़ेंगे तब खुदा न खास्ता कोई हादसा हो गया तो क्या होगा. इसकी जवाबदेही किसकी होगी. चलिए अब आपको बताते हैं कि ये पूरी कहानी क्या है.

ये एक हीरापुर में निर्माणाधीन एक स्कूल भवन के दीवार की तस्वीर है. इस तस्वीर को कांग्रेस नेता विकास उपाध्याय ने जारी किया है. उनका आरोप है कि इस निर्माण में सीमेंट की जगह रेत का इस्तेमाल किया जा रहा है.  विकास का कहना है कि इसका निर्माण पवन अग्रवाल नाम का ठेकेदार कर रहा है. कुल लागत 86 लाख की है. गौरतलब है कि सरोना में स्कूल की एक बिल्डिंग पहले ही गिर चुकी है. इसका निर्माण लोकनिर्माण विभाग के जिम्मे है. सवाल उठता है कि जिन अधिकारियों के ज़िम्मे इसकी देखरेख का जिम्मा है वो क्या कर रहे हैं.