विजेंद्र राणा, सीहोर। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के एक किसान की कहानी ने ‘मदर इंडिया’ की याद दिला दी। दरअसल, इस किसान के पास न ट्रैक्टर है न बैल, खुद हल से खेत जोतते के लिए मजबूर है। गरीब किसान के इम्तिहान का अंदाजा उसकी उम्र से लगाया जा सकता है। 90 साल की आयु में उनके हौंसले और मेहनत में कोई कमी नहीं है। हर सुबह वह अपने खेतों में जाते हैं और परंपरागत तरीके से खेती करते हैं।

सीहोर के तज गांव में अमर सिंह की कहानी ‘मदर इंडिया’ की भावना को जीवित रखती है और हमें यह याद दिलाती है कि असली किसान वही है, जो अपनी खेती से प्रेम करता है। गांव के अन्य किसान भी उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण से प्रेरित हैं। 90 वर्षीय किसान अमर सिंह के पास केवल तीन एकड़ जमीन है, आज भी अपने खेतों में खुद हल चलाते हैं। अमर सिंह बताते हैं, “मैं हमेशा से अपनी जमीन पर काम करने का शौक रखता था। यह मेरे लिए केवल एक काम नहीं, बल्कि मेरा जीवन है। वह कहते हैं कि गरीबी के चलते उनके पास इसके अलावा कोई चारा नहीं है। खेती में बमुश्किल गुजर-बसर चल रही है।

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इस बात का पता क्षेत्र के किसान व समाजसेवी एमएस मेवाड़ा को चला तो उन्होंने बताया कि यह कहानी एक किसान अमर सिंह की नहीं है, ऐसे अन्य कहानी सैकड़ों किसानों की है जो इस समय खेती को घाटे का सौदा हो रहा है। खास कर सोयाबीन की फसल बीते 10 वर्षों से प्रकृति आपदा, बाढ़, अधिक पानी, सूखा, खराब कीटनाशक दवा से बर्बाद हो रही है। जिसके चलते आर्थिक सहायता व बीमा राशि देने की मांग कई बार किसानों ने जिला प्रशासन से लेकर शासन सब जगह की, लेकिन उनके हक की बीमा राशि नहीं मिलती।

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किसानों का कहना है कि बैंक के द्वारा बीमा की राशि फसल की ऑटोमेटिक की खाते से काट ली जाती है। जब फसल का नुकसान होता है तो उसे कोई बीमा की राशि नहीं मिलती। समाजसेवी मेवाड़ा का कहना है कि हम सरकार से मांग करते हैं कि दुखी परेशान किसानों की मदद की जाए। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, देश के प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध है कि ऐसे दुखी परेशान किसानों की आर्थिक मदद करते हुए उन्हें फसल का वाजिब दाम दिलाते हुए बीमा राशि भी दिलाई जाए।

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