पुरूषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। पंजीयन में छूटे रकबे को जुड़वाने 3 दिनों में 96 किसान देवभोग तहसील कार्यालय पहुंचे. इन सभी किसानों का रकबा जोड़ दिया गया. लेकिन संशोधन की तारीख खत्म होने के बाद आज फिर से 50 से भी ज्यादा लोग पहुंचे थे, जिन्हें निराश होना पड़ा. लौटते समय अन्नदाताओं ने कहा कि हमारे साथ साजिश हुई है. तहसील में 200 से ज्यादा कृषक अब भी ऐसे है कि जिनके रकबे पर ऋण दिया गया है. पिछली बार धान भी बेचा पर इस बार पंजीयन में शामिल नहीं किया गया है.
देवभोग तहसील में वास्तविक रकबा धारी किसानों का पंजीयन में रकबा कटौती का मामला सामने आने के बाद 11 से 13 दिसंबर तक पंजीयन संसोधित करने सरकारी वेबसाइड चालू रखा था. नायब तहसीलदार अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि इन तीन दिन में 150 से भी ज्यादा आवेदन मिले थे. कुछ तो नए पंजीयन के तो कुछ दूसरे तहसील के थे. रकबा संशोधन के मापदंड में 96 आवेदन थे, जिन्हें सुधार कर रकबा जोड़ दिया गया. लेकिन इसकी अवधि केवल 13 दिसंबर तक के लिए था. रविवार को भी दफ्तर खोल कर संशोधन के काम मे जुटे थे.
800 एकड़ रकबा इस बार पंजीयन में जुड़ा नहीं
तहसील में अब भी 200 से ज्यादा ऐसे किसान है, जिनका रकबा पंजीयन से काट दिया गया है. आवेदन लेकर पहुंचे धौराकोट के किसान भोला सिंह नागेश ने बताया कि उसके पास कुल 3.84 हेक्टेयर रकबा है, जिसमें वर्षों से धान बेचते आ रहा है. इस बार 3.04 हेक्टेयर यानी साढ़े 7 एकड़ से ज्यादा रकबा, पंजीयन में शामिल नहीं किया गया है.
मनबेडा के खामसिंह सोरी,मोखगुडा के नेहरू लाल,सिनापाली के रुकधर साहू सेनमूडॉ के लधुवा राम सोनवानी ने कहा कि, जिस रकबे पर हमेशा धान बेचते आ रहे, लोन लिए है उस रकबे को काट दिया गया. अब लोन भी पटा पाना मुश्किल होगा. इनके अलावा आज 23 गांव से 50 से भी ज्यादा किसान तहसील दफ्तर पहुंचे थे, पर संशोधन की अवधि खत्म होने से इन्हें बैरंग लौटा दिया गया. किसानों को रकबा कटौती की जानकारी तब हुई जब वे खरीदी केंद्र टोकन कटवाने पहुंचे. किसानों ने दुखी मन से कहा कि जरूर हमारे साथ साजिश हो रही है,रकबा कटौती की जांच होनी चाहिए.
साजिश का संदेह इसलिए भी…
जितनी आवेदन संशोधन के मिले, सभी का संशोधन हुआ, यानी गलत तरीके से काटा गया रकबा फिर से जोड़ा गया.
तीन दिन के लिए संशोधन की अवधि थी, पर इसका ज्यादा प्रचार नहीं हुआ. खरीदी केंद्र में भी कोई बताने को तैयार नहीं की रकबा का संशोधन कैसे,कब व कौन करेगा.
उन्हीं किसानों का रकबा कटा है, जिनका पंजीयन का नवनीकरण हुआ है. इस प्रक्रिया में पुराने नाम को जस का तस उठाकर नए पंजीयन पोर्टल में अपलोड करना था, लेकिन छेड़छाड़ हुआ इसलिए रकबा कटौती हुआ. ज्यादातर समस्या दो या उससे ज्यादा खाता धारक किसान के रकबा में गड़बड़ी हुआ है, डाटा एंट्री में उच्च स्तर पर गड़बड़ी की आशंका है.