कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। साल 2018 को हुई हिंसा के मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान किया है, जिसके तहत इस हिंसा के दौरान दर्ज किए गए सभी मामले खत्म किये जाएंगे। ऐसे में सीएम शिवराज सिंह की घोषणा से ग्वालियर अंचल में खुशी की लहर है, जिसके चलते सवर्ण और दलित समाज के लोगों ने एक दूसरे को मिठाइयां खिलाते हुए दोनों वर्गों में समरसता बढ़ाने का संकल्प लिया है।
बता दें कि 2 अप्रैल 2018 को हुई हिंसा के बाद 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। भाजपा सत्ता से बेधकल हो गई थी। ऐसे में 2023 विधानसभा चुनाव से पहले सीएम शिवराज सिंह, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के सयुंक्त प्रयास से बीती 22 मई को ग्वालियर में दो अहम बैठके की थी। जहां सवर्ण और दलित समाज के प्रतिनिधियों के साथ इस हिंसा के कारण दो समाज के बीच पड़ी दरार और मामलों को खत्म करने पर मंथन हुआ।
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इस बैठक में प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट,मंत्री प्रद्युमन तोमर, मंत्री ओपीएस भदौरिया, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, बीज निगम अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल,लघु उद्योग निगम अध्यक्ष इमरती देवी सहित भाजपा के बड़े नेता भी मौजूद थे। सीएम ने इन बैठक के बाद ऐलान करके गए थे कि दोनों ही वर्गों के लोगों पर दर्ज मामलों को खत्म करने पर सरकार विचार कर रही है।
यह है मामला
2 अप्रैल 2018 को एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ था।
अजा वर्ग संगठनों ने भारत बंद बुलाया था,
बंद के दौरान दो पक्षों के बीच विवाद हुआ था,
ग्वालियर भिंड मुरैना श्योपुर जिलों में जमकर हिंसा हुई थी,
ग्वालियर चंबल अंचल में हिंसा के दौरान 7 लोगों की मौत हुई थी,
200 से ज्यादा लोग के साथ ही कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे,
हिंसा के बाद ग्वालियर चंबल कई दिनों तक कर्फ्यू की चपेट में रहा,
इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थी,
ग्वालियर, भिंड, मुरैना में 150 से ज्यादा FIR दर्ज हुई थी,
अकेले ग्वालियर जिले के अलग अलग थानों में 98 FIR दर्ज हुई थी,
आज की तारीख तक ग्वालियर जिले में हुई 56 FIR में पुलिस कोर्ट में चालान पेश कर चुकी है,
ग्वालियर SSP अमित सांघी का कहना है कि जैसे ही निर्देश मिलेंगे उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आंकड़ों में यह भी बताया कि जिले में 98 मामले उस दौरान दर्ज किए गए थे।
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