जीतेन्द्र सिन्हा,राजिम. लगातार बारिश और गांव में मुक्ति धाम नहीं होने के कारण यहां लोगों को खुले आसमान के नीचे हाथों में छतरी और तिरपाल ढंककर अंतिम संस्कार करना पड़ा है. दरअसल ये मामला कोई अति पिछड़े या अनुसूचित क्षेत्र का नहीं है,बल्कि मामला है राजिम विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड फिंगेश्वर के मॉडल ग्राम पंचायत जेन्जरा के आश्रित ग्राम मुड़तराई का है,जहां आजादी के सात दशक बाद भी इस गांव का मुकद्दर नहीं बदल सका है.

विकास की दौड़ में पिछड़े इस ग्राम के पंचायत प्रतिनिधियों की निष्क्रियता का प्रमाण यह है कि गांव के लोगों को न जीवित रहते कोई सुविधा है न ही मरणोपरांत उसे मुक्तिधाम नसीब हो पाता है. यही वजह है कि बीते दिन गांव के एक 70 वर्षीय वृद्ध सगाराम ध्रुव का देहांत हुआ तो उनके परिजन खुले आसमान के नीचे ही दाह संस्कार करने को विवश होना पड़ा. जिसके बाद अब ग्रामीणों में आक्रोश है.

ग्रामीणों ने लगाया ये आरोप…

ग्रामीण और मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि खसरा नम्बर 210 स्थित 75 डिसमिल भूखण्ड पूर्व से मुक्तिधाम हेतु आरक्षित है किंतु ग्राम पंचायत के सरपँच की उदासीनता एवं अकर्मण्यता के चलते अबतक मुक्तिधाम का निर्माण नहीं हो सका है. इसके साथ ही उन्होंने गांव में मुक्तिधाम बनाने की भी मांग की है.

सड़क किनारे की जगह होती तो….

वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि शासन से मुक्तिधाम के लिए राशि स्वीकृत नहीं हुई है. गांव वाले मुक्तिधाम के लिए विवादित जगह को आरक्षित किए हैं. अगर सड़क किनारे की जगह को देते तो अब तक मुक्तिधाम शेड बन गया होता.