पर्युषण पर्व : जिस तरह से अन्य मंत्रों की शक्ति होती है, उसी तरह से णमोकार महामंत्र (Navkar Mantra) की भी शक्ति कम नहीं आंकी जा सकती. यह मंत्र न केवल चमत्कारी माना जाता है तो वहीं इसके नियमित और नियम से जप करने वाले व्यक्ति की हर तरह की परेशानी से मुक्ति भी मिल जाती है. णमोकार महामंत्र जैन धर्म का भले ही हो, लेकिन आनंदायक और परम सुख देने वाला महामंत्र है.

णमोकार मंत्र महामंत्र जैन परम्परा का एक प्रभावक एवम् चमत्कारी मंत्र है. इस मंत्र की साधना से साधक के सभी मनोरथ पूर्ण होते है. नमस्कार मंत्र जैन धर्म का सर्वाधिक महत्वपूर्ण मंत्र है. इसे ‘नवकार मन्त्र’, ‘णमोकार मंत्र’ या ‘पंच परमेष्ठि नमस्कार’ भी कहा जाता है. नमस्कार महामंत्र जैन धर्म का सबसे प्राचीन मंत्र है. इस मंत्र को सभी जैन मानते है. इस महामंत्र में किसी व्यक्ति विशेष को नहीं , बल्कि 5 महान आत्माओ को नमस्कार किया गया है.

इस महामंत्र का मूल पाठ (पर्युषण पर्व)

णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं, एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पाव-प्पणासणो. मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं॥ अरिहंतो को नमस्कार. सिद्धों को नमस्कार. आचार्यों को नमस्कार. उपाध्यायों को नमस्कार. सर्व साधुओं को नमस्कार.

महामंत्र का जप उठते व सोते समय कम से कम पांच बार अवश्य करना चाहिए, इसका जाप बहुत लाभकारी होता है.

जाप विधि

णमोकार मंत्र का जाप -1.द्रव्य2.क्षेत्र 3.समय 4.आसन 5.विनय 6.मन 7.वचन 8.काय इन आठ प्रकार की शुद्धि के साथ जाप करने पर फल जल्दी मिलता है.

इतिहास

णमोकार मंत्र प्राकृत भाषा में लिखा गया है. णमोकार मंत्र अनादि निधन मंत्र है, इसका सर्व प्रथम लिपिबद्ध उल्लेख षटखंडागम ग्रंथ में मंगलाचरण के रुप में मिलता है. षटखंडागम ग्रंथ के रचिता आचार्य पुष्पदंत भूतबली है. णमोकार मंत्र में 58 मात्राऐं, 35 अक्षर, 30 व्यंजन, 34 स्वर 5 सामन्य पद, 11 विशेष पद हैं. णमोकार मंत्र 84 लाख मंत्रों का जन्मदाता है. णमोकार मंत्र को 18432 प्रकार से बोल व लिख सकते हैं.

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