जीतेन्द्र सिन्हा,राजिम.  खेलऔर स्कूल शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां संभाग स्तरीय खेल प्रतियोगिता में शामिल होने गए स्कूली छात्रों को रात में ही आधे रास्ते में छोड़कर स्कूल बस वापस चले गई,जिससे बच्चों को भटकना पड़ा है. बता दें कि ये मामला तब उजागर हुआ जब लल्लूराम डॉट कॉम संवाददाता को अचानक आधी रात में नौ स्कूली छात्रों को बीच रास्ते में अंधेरे में भटकते मिले,सभी बच्चे पीठ में बैग में लादे हुए थे,परेशान और डरे सहमे नजर आ रहे थे.इसके बाद संवाददाता ने जब बच्चों से इस बारे में पूछा कि वे आधी रात को यहां कैसे भटक रहे हैं,जिसमें उन्होंने जो जवाब दिया है वो हैरान करने वाला है. बच्चों ने  बताया कि वे सभी स्कूल की तरफ से संभाग स्तरीय खेल प्रतियोगिता में भाग लेने महासमुंद जिले के पिथौरा गए हुए थे.

इसके बाद उन्हें बीते दिन यानी 8 अगस्त को विभाग द्वारा किए गए बस से वे घर के लिए निकले थे.लेकिन उन्हें फिंगेश्वर से करीब 8 किलोमीटर दूर ग्राम जामगांव में ही रात 8 बजे छोड़ दिया गया. इन बच्चों ने बताया कि पहले तो उन्हें लगा कि वे किसी से साधन से घर पहुंच जायेंगे लेकिन उन्हें कोई साधन नहीं मिला,जिसके बाद वे भूखे प्यासे ही पैदल चलकर फिंगेश्वर पहुंच गए.बच्चों ने बताया कि वे सभी फिंगेश्वर विकासखंड के ग्राम तर्रा, धुमा, कोपरा, बासिन स्कूल के हैं.

बच्चों ने बताया कि फिंगेश्वर पहुंचते 11बज गए थे,जिसके बाद से ही वे किसी भवन में रात गुजारने कि कोशिश में भटक रहे हैं. उन्होंने बताया कि भटकने के बाद जब कोई रास्त नहीं बचा तो हमने फिंगेश्वर थाना प्रभारी संतोष सिंह को फोन कर पूरी समस्या बताई,जिसमें उन्होंने कहा कि वे बस स्टैंड स्थित यात्री प्रतीक्षालय में रुक जाएं,लेकिन जब वे यात्री  प्रतिक्षालय पहुंचे थे तो यात्री प्रतिक्षालय में भी ताला लटका हुआ था. इसके बाद भी उन्होंने थाना प्रभारी से संपर्क किया पर लेकिन थाना प्रभारी ने दोबारा फोन नहीं उठाया न ही मिलना उचित समझा.

कलेक्टर से लेकर जिला शिक्षाधिकारी को भी दी जानकारी…

इसके बाद संवाददाता ने जिले के कलेक्टर से लेकर,जिला शिक्षाधिकारी से भी संपर्क किया,लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. इसके बाद संवाददाता ने वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में एक छात्रावास के रुकने और खाने की व्यवस्था कि और 9 अगस्त की सुबह ही उन्हें सही सलामत अपने-अपने घर भेज दिया गया है.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि बच्चों के साथ गए शिक्षक ने क्यों आधे रास्ते में ही बच्चों को छोड़ दिया ? क्या खेल विभाग को ऐसी व्यवस्था नहीं करनी चाहिए थी कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों के आने जाने की उचित व्यवस्था की जाए,चूंकि रात काफी हो चुकी थी,जिससे इन बच्चों के साथ कोई अप्रीय घटना भी घट सकती थी. बच्चे आधी रात तक भटकते रहे और तब भी किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली.