रायपुर. आज शनिवार को शनि अमावस्या है और हरियाली अमावस्या का भी संयोग बना है. यह एक दुर्लभ संयोग है क्योंकि सावन के महीने में शनिवार के दिन हर साल अमावस्या तिथि नहीं लगती है. इस शनि अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण भी लग रहा जो इसके महत्व को कई गुणा बढ़ा रहा है. अच्छी बात यह है कि यह ग्रहण में नहीं दिखेगा जिससे आपको सूतक के कारण पूजा-पाठ में किसी तरह की बाधा का सामना नहीं करना होगा बल्कि इस अवसर पर आप शनि दोष, ग्रहण दोष और पितृ दोष जैसे अशुभ फल देने वाले ग्रह स्थितियों के प्रभाव से मुक्ति के उपाय कर सकते हैं.

इस मंत्र से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति

शनि अमावस्या दिन आप कुछ नहीं कर पाएं तो कम से कम शनि के इस मंत्र का जितना संभव हो जप कर ले. ‘ओम प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’. इसके साथ ही इस अवसर पर हो सके तो उड़द दाल की खिचड़ी खाएं और दान करें. शनि दोष के साथ ही पितृदोष भी दूर होगा.

शनि के वैदिक मंत्र का करें जप

ग्रहण के समय आप शनिदेव के वैदिक मंत्र ‘ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये. शंयोरभि स्रवन्तु न:’ का जप करें. इस मंत्र जप के बाद तिल के तेल से बने पकवान का दान करें. इससे शनिदेव के अशुभ दशा के प्रभाव से मिलने वाली परेशानी से राहत महसूस कर सकते हैं.

शनि पत्नी मंत्र से पाएं यह लाभ

ज्योतिषशास्त्र में शनि की दशा को कम करने के लिए शनि पत्नी के नाम का मंत्र जप भी लाभकारी बताया गया है. पीपल या शमी पेड़ के पास शनि महाराज की पूजा करके शनि पत्नी के नामों का जप करें. इससे गृहस्थी की बाधा दूर होती है और नौकरी-व्यवसाय के क्षेत्र में भी प्रगति होती है- शनि पत्नी मंत्र- ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहिप्रिया. कण्टकी कलही चाथ तरंगी महिषी अजा.

शनि मनोकामना पूर्ति मंत्र

शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पौराणिक शनि मंत्र: ‘ओम ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम. छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्. का जप करें. इससे शनि महाराज प्रसन्न होकर मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

चल रही है साढ़ेसाती तो जपें यह मंत्र

आप कुंडली में मौजूद साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम करने के लिए तांत्रिक शनि मंत्र: ‘ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का जप करें. साथ ही तेल, काला छाता, जूते-चप्पल, कंबल आदि दान कर सकते हैं. इससे ना सिर्फ साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है बल्कि शनि की दशा का अशुभ प्रभाव भी दूर होता है.

शनि अमावस्या पर शनि यंत्र की पूजा

ग्रहण के समय आप ओम भूर्भुव: स्व: शन्नोदेवीरभि टये विद्महे नीलांजनाय धीमहि तन्नो शनि: प्रचोदयात्. इस शनि गायत्री मंत्र का जप करें. साथ ही मंदिर जाकर पूजा अर्चना करना संभव न हो तो घर में शनि यंत्र की स्थापना करें और पूजन करें.