बाबा रामदेव जी राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हैं. जैसलमेर में बाबा का विशाल मंदिर है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु उन्हें नमन करने आते हैं, इस मंदिर के चमत्कारों की‌‌ चर्चा चारों और है. कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा की अराधना करता है. उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. विक्रम संवत 1409 (1352 ईस्वी सन्) को उडूकासमीर (बाड़मेर) में बाबा का जन्म हुआ था और विक्रम संवत 1442 में उन्होंने रुणिचा में जीवित समाधि ले ली. इस वर्ष रामदेव जयंती 25 सितंबर (सोमवार) को मनाई जा रही है.

मक्का से मंगवाए कटोरे

स्थानीय जनश्रुति के आधार पर कहा जाता है कि मक्का के मौलवियों और पीरों ने जब इनकी चर्चा सुनी तो फिर मक्का के पांच चमत्कारिक पीर भी बाबा की शक्ति को परखने के लिए उत्सुक हो गए. कुछ दिनों में वे पीर मक्का से चलकर रुणिचा के रास्ते पर जा पहुंचे. रामदेव जी ने उनकी आवभगत की और भोजन के लिए थाली परोसी तो उन पीरों ने कहा कि हम तो अपनी ही कटोरे में खाते हैं जो हम मक्का में भूल आएं हैं. आप यदि मक्का से वे कटोरे मंगवा सकते हैं तो मंगवा दीजिए, वर्ना हम आपके यहां भोजन नहीं कर सकते. इसके साथ ही बाबा ने अलौकिक चमत्कार दिखाया और जिस पीर का जो कटोरा था उसके सम्मुख रखा गया. तब उन पीरों ने कहा कि आप तो पीरों के पीर हैं. Read more – अंबानी परिवार की गणेश चतुर्थी पूजा में पहुंची Rekha, डॉर्क मरून कलर की साड़ी में लगी कयामत …

पाकिस्तान से भी मुस्लिम भक्त आते हैं

रामदेव जी सामुदायिक सद्भाव तथा अमन के प्रतीक हैं. बाबा का अवतरण वि.सं. 1409 को भाद्रपद शुक्ल दूज के दिन तोमर वंशीय राजपूत तथा रूणीचा के शासक अजमलजी के घर हुआ. उन्होंने पूरा जीवन शोषित, गरीब और पिछड़े लोगों के बीच बिताया. उन्होंने रूढिय़ों तथा छूआछूत का विरोध किया. Read More – Ganesh Chaturthi Recipe : बप्पा को लगाएं चॉकलेट मोदक का भोग, बप्पा हो जाएंगे खुश …

रामदेवजी को हिंदुओं द्वारा भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है तथा मुसलमानों द्वारा उन्हें रामशाह पीर के रूप में जाना जाता है और माना जाता है कि उनके पास कई चमत्कारी शक्तियां हैं. भक्तों का उनके प्रति समर्पण इतना है कि पाकिस्तान से मुस्लिम भक्त भी उन्हें नमन करने भारत आते हैं.