रायपुर. विश्वविद्यालय की मान्यता को लेकर पिछले कुछ दिनों से कई स्टूडेंट्स के बीच फैली खबर फेक साबित हो रही है. 12 अगस्त 2018 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एक पब्लिक नोटिस जारी किया गया है. इस नोटिस में आयोग ने यह स्पष्ट किया गया कि दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के मान्यता की प्रक्रिया अभी जारी है. जिन विश्वविद्यालयों ने अधिनियम 2017 के मापदंडों को पूरा करते हुए ऑनलाइन आवेदन किया था, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा उनमें किसी भी विश्वविद्यालय की दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम की मान्यता समाप्त नहीं की गई है.

यूजीसी ने 12 अगस्त को पब्लिक नोटिस जारी किया है. जारी इस नोटिस में कहा गया है कि 53 विश्वविद्यालयों को पहले चरण में मान्यता प्रदान की गई है, शेष विश्वविद्यालय की मान्यता की प्रक्रिया अभी जारी है. विश्वविद्यालयों को एक पत्र जारी कर यह स्पष्ट किया जाएगा कि उनके किसी भी पाठ्यक्रम की मान्यता क्यों नहीं प्रदान की गई है. इस संबंध में विश्वविद्यालय 30 दिनों के अंदर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को अपना रिपोर्ट प्रस्तुत कर उन पाठ्यक्रमों को मान्यता सूची में शामिल करने हेतु अनुरोध कर सकते हैं. साथ ही विश्वविद्यालय को अपील पर भी जाने की स्वतंत्रता है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा चरणबद्ध तरीके से आवेदन करने वाले सभी विश्वविद्यालयों की मान्यता संबंधी सूची जारी की जाती रहेगी. इस नोटिस को जारी करके विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पिछले कुछ दिनों से मीडिया पर चल रही विश्वविद्यालय की मान्यता समाप्त किए जाने की खबरों पर विराम लगा दिया है. इस पब्लिक नोटिस को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की वेबसाइट पर देखा जा सकता है.

पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति बंश गोपाल सिंह ने बताया कि यूजीसी ने 12 अगस्त को एक पब्लिक नोटिस जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि कुछ यूनिवर्सिटी कि लिस्ट पहले स्टेज में जारी किया गया है, फिलहाल किसी भी यूनिवर्सिटी का कोई भी कोर्स डि-रिकॉगनाइज नहीं किया गया है, सभी यूनिवर्सिटी कि स्थिति को लेकर जल्द लेटर आएगा. जिसके बाद यूनिवर्सिटी को डॉक्यूमेन्टेशन प्रोसेस करना होगा. इसके बाद अगले चरण की लिस्ट जारी की जाएगी. इस लेटर के आने के बाद स्टूडेंटर्स के बीच फैले भ्रम को जरूर विराम मिला है.

मिली जानकारी के अनुसार पंडित सुन्दर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी है, इस वजह से यूनिवर्सिटी की मान्यता को लेकर यूनिवर्सिटी को फिर से डॉक्यूमेंटेशन भेजना होगा. इस बीच राज्य शासन यूनिवर्सिटी के लिए शिक्षकों की व्यवस्था कर देती है, तो यूनिवर्सिटी की मान्यता को लेकर कोई खतरा नहीं रहेगा.