रायपुर. कांग्रेस संचार विभाग ने नए भवन में विधि विधान से प्रवेश किया. यज्ञ, हवन और पूजा पाठ के साथ कांग्रेस के साथ संचार विभाग के प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी ने नए दफ्तर में बैठना शुरु कर दिया है, लेकिन इस कार्यक्रम में संचार विभाग के आधे से ज़्यादा सदस्य नदारद थे. संचार विभाग, मीडिया और आईटी विभाग का मुख्य विभाग है. इसके अलावा बड़ा हिस्सा मीडिया पैनलिस्टों का है. मीडिया पैनलिस्टों में कई बड़े नेता हैं. उनमें से कोई भी बड़ा नेता इस मौके पर मौजूद नहीं था. इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि शैलेष के रवैये से संचार विभाग के कई नेता नाराज हैं. कई नेता उनके व्यवहार को लेकर शिकायत कर चुके हैं. माना जा रहा है इस वजह से विभाग के ज्यादातर नेता नदारत रहे.
संचार विभाग के सदस्यों का कहना है कि इसका गठन विधानसभा चुनाव के लिए बनी कमेटी के साथ हुआ था लेकिन इन लोगों की एक भी मीटिंग अब तक नहीं हुई है. यही नहीं, पूरे संचार विभाग के तहत आने वाले संचार विभाग के सदस्यों, प्रवक्ताओं और मीडिया पैनलिस्टों की कोई बैठक नहीं हुई.
सवाल है कि संचार विभाग में हर सदस्य का क्या काम है, उनकी क्या भूमिका है. ये बात विभाग के कई सदस्य भी नहीं जानते. विभाग के मुखिया शैलेष नितिन त्रिवेदी ही सारी भूमिकाएं खुद निर्वहन करते हैं. कई सदस्य इस बात से नाराज़ हैं कि राहुल गांधी से मुलाकात के वक्त उन्हें कोई ज़िम्मेदारी नहीं दी गई.
इस बारे में जब हमने एआईसीसी के संचार विभाग के ऑफिस बियरर्स से बात करके ये जानना चाहा कि छत्तीसढ़ में संचार विभाग का सेटअप कैसा है तो उन्होंने कहा कि एआईसीसी के स्तर पर संगठन पूरे देश में बनाया जा रहा है. सिर्फ छत्तीसगढ़ के बारे में वहां की पीसीसी के पास ही जानकारी मिल पाएगी.
इस बारे में शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि मीडिया पैनलिस्टों में उनसे बड़े नाम हैं लिहाज़ा वो इन नेताओं की बैठकें नहीं ले सकते. इसी तरह प्रवक्ताओं की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन संचार विभाग की बैठक के बारे में शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कुछ नहीं कहा.
माना जा रहा है कि जिम्मेदारियों का सही तरीके से बंटवारा न होने के चलते ही राहुल गांधी के दौरे के वक्त मीडिया से तनातनी की स्थिति निर्मित हुई. शैलेष के पास इस वक्त सिर्फ संचार विभाग का ही जिम्मा नहीं है बल्कि वे युवा कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस और सेवादल के इंचार्ज हैं. कांग्रेस के एक नेता नाम न छपने की शर्त पर कहते हैं कि अभी ये हाल है तो चुनाव के वक्त काम कई गुना बढ़ जाएगा तो ऐसी स्थितियों में कांग्रेस क्या करेगी.