मनीष मारू, आगर मालवा। जिला मुख्यालय के मोतीसागर तालाब में नहाते समय बड़ा हादसा हो गया। यहां अपनी सास के ग्यारहवें में उदयपुर से आए दामाद मुकेश गुप्ता की नहाते समय डूबने से मौत हो गई। मृतक की उम्र करीब 45 वर्षीय बताई जा रही है। घर में पूजन के दौरान मुकेश कुछ लोगों के साथ नहाने के लिए तालाब आए हुए थे। नहाने के दौरान वे गहरे पानी में चले गए और काफी देर तक बाहर नहीं आए। इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने उन्हें काफी तलाश किया लेकिन मुकेश नहीं मिले। सूचना के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची और SDRF की टीम को भी सूचित किया गया। टीम के न पहुँचने पर स्थानीय लोगो और नगरपालिका के सहयोग से मुकेश की तलाश की गई और उन्हें बाहर निकाला गया। परिजनों ने मुकेश को अस्पताल में भर्ती कराया था जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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दरअसल, छावनी के रहने वाले गोविंदराम मेठी की पत्नी का बीते दिनों स्वर्गवास हो गया था। उनके ग्यारहवें में शामिल होने उदयपुर राजस्थान से उनके दामाद मुकेश, पिता लक्ष्मीनारायण गुप्ता भी आए थे। मोतीसागर तालाब के हनुमान घाट पर ग्यारहवें का पूजन चल रहा था और परिवार के कुछ लोगों के साथ दामाद मुकेश भी तालाब में नहा रहे थे इसी दौरान गहरे पानी मे वे डूब गए। जब कुछ देर वो पानी से बाहर नही आए तो उनकी तलाश की गई।

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वहीं सूचना मिलते ही कोतवाली थाने से पुलिस वहां पहुंच गई, काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब SDRF का दल वहां नही पहुंचा तो स्थानीय लोगों और नगरपालिका के सहयोग से मुकेश को बाहर निकाला गया। लोगो ने तालाब पर ही पम्पिंग कर उन्हें प्राथमिक उपचार देने का प्रयास किया। इसके बाद प्राइवेट एम्बुलेंस की मदद से शहर के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। काफी देर प्रयास करने के बाद चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक मुकेश का जिला हॉस्पिटल आगर में पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौपा गया हैं।

SDERF की सजगता की खुल गई पोल खुल

इस दर्दनाक घटना ने SDRF टीम की सजगता की पोल खोल दी है। SDRF दल का मौके पर मौजूद न रहना और सूचना देने के बाद भी घटनास्थल पर न पहुंचना बड़ी लापरवाही दर्शाता है। आगर मालवा जिले के लगभग सभी जलाशय लबालब भरे हुए हैं। मोतिसागर तालाब में सुबह शाम बड़ी संख्या में लोग नहाने के लिए जाते हैं। वहीं हनुमान घाट पर मुंडन सहित अन्य क्रियाकर्म भी होते रहते हैं।

किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए SDRF के दल को वहां मौजूद रहना चाहिए, लेकिन इस घटना के बाद SDRF की सजगता की पोल खुल गई। क्योंकि सूचना मिलने के काफी देर तक दल वहां नही पहुंचा और स्थानीय लोगों ने ही मशक्कत कर मुकेश को बाहर निकाला। अगर समय रहते मदद मिल जाती तो शायद आज एक परिवार का सदस्य बचाया जा सकता था। जब SDRF की प्लाटून कमांडेंट वीना कौशल से मोबाइल पर बात कर देरी होने के कारण पूछने का प्रयास किया गया तो उनके द्वारा कॉल रिसीव नही किया गया। इस बड़ी अनहोनी के बाद SDRF की गैरमौजूदगी पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं। अब देखने वाली बात यह है कि बचाव दल के अधिकारियों या कर्मचारियों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई होती है या सिर्फ खानापूर्ति कर मामले को रफा दफा कर दिया जाएगा?

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