Rohini Fast Special: जैन धर्म में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। रोहिणी व्रत का संबंध नक्षत्रों से माना जाता है। इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है।

इस व्रत को नियमित 3, 5 या 7 वर्षों तक करने के बाद ही उद्यापन किया जा सकता है। मान्यता के मुताबिक जिस दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, उस दिन इसका व्रत किया जाता है। मुख्य रूप से महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करती हैं। वहीं साल में 12 रोहिणी व्रत पड़ते हैं। बता दें कि अक्टूबर के महीने में 4 अक्टूबर 2023 को रोहिणी व्रत किया जा रहा है। आइए जानते हैं इस व्रत के महत्व और पूजन विधि के बारे में…

रोहिणी व्रत का महत्व

जैन धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म में भी रोहिणी व्रत का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में यह व्रत मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। वहीं जैन धर्म में इस व्रत को नक्षत्रों से जोड़कर देखा जाता है। इस दिन जैन धर्म के लोग भगवान वासु स्वामी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन 27 नक्षत्रों के एक साथ आ जाने से शुभ योग बनता है। वहीं रोहिणी व्रत के दौरान मां लक्ष्मी की विधिविधान से पूजा-अर्चना व व्रत करने से व्यक्ति को धन-धान्य की कमी नहीं होती है। मान्यता के मुताबिक इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं व्रत करती है

जैन परिवारों की महिलाओं के लिए तो इस व्रत का पालन करना अति आवश्यक माना गया है। यह व्रत महिलाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन महिलाएं प्रात: जल्दी उठकर स्नान करके पवित्र होकर पूजा करती हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के लिए वासुपूज्य भगवान की पांचरत्न, ताम्र या स्वर्ण प्रतिमा की स्थापना की जाती है। वैसे पुरुष भी ये व्रत कर सकते हैं। इस पूजा में जैन धर्म के लोगभगवान वासुपूज्य की पूजा करते हैं। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु एवं स्वास्थ्य के लिए करती हैं। इस दिन गरीबों को दान देने का भी महत्व होता है।