PMAY-G Scam in Odisha: भुवनेश्वर। प्रदेश में गरीबों को आवास देने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत ऐसे लोगों को आवास के नाम पर करोड़ों रूपये की रकम बांट दी गई, जो इस योजना के लिए पात्र ही नहीं थे. प्रदेश के कई जिलों में ये बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है.
सीएजी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने 2022 तक सभी लोगों को घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था, लेकिन प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में 8.59 लाख लोगों को पीएमएवाई योजना से वंचित रखा गया है.
फर्जी वर्क ऑर्डर से अपात्रों को दिया फंड(PMAY-G Scam in Odisha)
सीएजी ने प्रदेश में पीएमएवाई-जी के कार्यान्वयन पर अपने ऑडिट में कहा कि “ग्राम सभा ने जिन लोगों कोे पीएमएवाई योजना के लिए पहचान किया था, उनमें से 8.59 लाख लाभार्थियों को इस सूची से ही बाहर कर दिया गया है. पीएमएवाई-जी के तहत घरों की मंजूरी में एक प्राथमिकता सूची तयार किया गया. पीएमएवाई अवास आवंटन के समय इस प्राथमिकता सूची नियाम का पालन नहीं किया गया है. इसके अलावा एसे कई लोग जिन्हें पीएमएवाई योजना के तहत घर दिया गया है वे इस स्कीम के योग्यता श्रेणी में नहीं आते. सीएजी ने पाया कि फर्जी वर्क ऑर्डर बना कर गैर-लाभार्थियों को भी फंड जारी किया गया है. ”
रिपोर्ट में कहा गया है “चूंकि 0.41 लाख घरों को मंजूरी नहीं दी गई है, इसलिए राज्य को ₹295 करोड़ का वित्तीय बोझ उठाना होगा. आवास सॉफ्टवैर में कई अधूरे मकानों को पूर्ण दिखा दिया गया, योजना के पैसों से कॉमर्शियल मकानों का निर्माण किया गया है इसके अलावा ऐसे लोगों को भी घर मिला है जिनके पहले से ही बड़ बड़े आकार के घर है. इसके अलावा अन्य संबंधित योजनाओं में भी हुए घोटाले के कारण लाभार्थी बुनियादी सुविधाओं जैसे पेयजल, शौचालय, बिजली आदि से वंचित है. ऑडिट में सत्यापित 647 पूर्ण घरों में से, 347 घरों में कोई शौचालय नहीं है, 122 घरों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, 199 घरों में बिजली कनेक्शन नहीं है, 291 घरों में एलपीजी प्रावधान नहीं है और 22 घरों बाहर निकलने के लिए कोई सड़क नहीं है. ”
रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा योजना में भी कई घाटाले सामने आए हैं और योजना के नियमों का उलंघन किया गया है. मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को कहीं पहली किस्त जारी होने से पूरा भुगतान किया गया है तो कहीं घरों के पूरा होने के बाद भी मजदूरी नहीं मिला है. 41,146 मामलों में, संबंधित लाभार्थियों को पहली किस्तें 07 से 1,576 दिनों की देरी से जारी की गई है. एडमिनस्ट्रेटिव फंड से ₹7.83 करोड़ अस्विकार्य कामों में खर्च किए गए हैं. आवास सॉफ्टवेर में घरों के भौगोलिक स्थान से संबंधित गलत जानकारी दिखाया गया है, इसके अलावा सॉफ्टवेर में 3,521 मामलों में, घर राज्य के बाहर दिखा रहा है. ” अभी इस संबंध में ओडिशा सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक