भगवान को क्यों नहीं
लगाया जाता लहसुन-प्याज का भोग, जानें पूरी कहानी...
पौराणिक कथा के अनुसार लहसुन और प्याज के पीछे एक प्रचलित कथा है.
कथा के अनुसार, स्वरभानु नाम का एक दैत्य था. जिसने समुद्र मंथन के बाद सभी देवताओं के बीच बैठकर अमृत पान कर लिया था.
मोहिनी रूप धारण किए भगवान विष्णु को जब ये बात पता चली, तो उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया
तभी से स्वरभानु के सिर और धड़ को राहु और केतु कहा जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि, सिर काटने के बाद स्वरभानु के सिर और धड़ से खून की बूंद धरती पर गिरी.
जिससे लहसून और प्याज की उत्पत्ति हुई, हालांकि रोग-दोष को दूर करने के लिए ये दोनों बेहद कारगर साबित होते हैं.
परंतु इनकी उत्पत्ति राक्षस के मुंह से हुई है. इसलिए इसे बेहद अपवित्र माना गया है.
इसी कारण भगवान की पूजा में लहसुन और प्याज का भोग नहीं लगाया जाता है.
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