पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. इस राखी सभी बहनें अपने भाईयों को खुश करने में लगी हैं.लिहाजा हर बहन यही चाह रही हैं कि ये रक्षाबंधन उनके लिए बेहद खास हो. लेकिन इन सब के बीच कुछ बहनें ऐसी भी हैं,जिनके पास इतने पैसे ही नहीं कि वे अपने भाईयों को बाजार से राखी खरीद कर बांध सकें.

इसलिए उन्होंने खुद ही राखी बनाने का फैसला कर लिया है. दरअसल ये बेटिंया हैं देवभोग के कस्तुरबा आवासीय विद्यालय की है जिनका कहना है कि वे खरीद कर राखी तो नहीं बांध सकतीं, इसलिए उन्होंने खुद से बनाई राखियों को अपने भाईयों के कलाई में बांधने का फैसला लिया है. बता दें कि इस विद्यालय में पढ़ने वाली करीब 100 बेटियां ग्रामीण इलाकों से आईं हैं. सभी गरीब घर से हैं.

लेकिन इस बार ये त्यौहार उनके लिए बेहद खास होने वाला है.उसकी वजह ये है कि इस बार इन बेटियों ने अपने हांथो से बनाए राखी को भाइयो के हांथो  में सजाएंगी. महज 2 रूपए से लेकर 5 रुपए के लागत में बनी ये राखियां ,बाजार में मिलने वाली महंगी राखियों से बेहद आर्कषक हैं.

आपको बता दें कि ये सब इतनी आसानी से संभव हो पाया है यहां पदस्थ अधीक्षक अमिता मेढे़ के चलते,मेढे ने विद्यालय के विशेष फंड से भारी कम बजट में राखी बनाने का सामना बच्चों को उपलब्ध कराया.सप्ताह भर पहले से क्लास की छुट्टी के बाद इन्हें बनाने की ट्रेनिंग दी गई,मौजूद अन्य महिला टीचर्स ने भी बच्चों का खूब सहयोग किया जिससे करीब 100 छात्राओं ने 3 दिन की मेहनत में 800 से ज्यादा राखी तैयार कर आपस मे बांट लिया है.