चंकी बाजपेयी, इंदौर। इंदौर में आईएएस अधिकारी, राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी और थाना प्रभारी समेत 5 लोगों के खिलाफ लोकायुक्त ने एफआईआर दर्ज की है। सभी अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करने के मामले में शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई है। दरअसल इस मामले का संबंध त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था से है। अफसरों पर पद का दुरुपयोग करते हुए 15 एकड़ जमीन को विवादित बताया था। संस्था के सदस्यों ने इस मामले में लोकायुक्त से कूटरचित दस्तावेज बनाकर शिकायत दर्ज करने का आरोप लगाया था।
दरअसल, इंदौर के तत्कालीन अपर कलेक्टर और वर्तमान में अलीराजपुर कलेक्टर अभय अरविंद बेडेकर, राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रितेश जोशी, पुलिस इंस्पेक्टर दिनेश वर्मा, ASI एनएस बोरकर एवं सहकारिता निरीक्षक प्रवीण जैन के खिलाफ इंदौर लोकायुक्त द्वारा FIR दर्ज की गई है। मामला प्रॉपर्टी का है और सभी अधिकारियों पर पद के दुरुपयोग का आरोप है। तत्कालीन अफसरों ने उस समय पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार किया था और 15 एकड़ जमीन को विवादित बताया था। संस्था ने सदस्य के खिलाफ शिकायत दर्ज होने पर उन्होंने सफाई में कहा था कि गलत तरीके से अपराध पंजीबद्ध किया गया है। कूटरचित दस्तावेज का प्रयोग कर प्रकरण दर्ज किया गया है। इस मामले में लोकायुक्त ने शिकायत के आधार पर जांच की और 5 अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
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तत्कालीन अफसरों के खिलाफ लोकायुक्त से की थी शिकायत
लोकायुक्त अधिकारी आर डी मिश्रा के मुताबिक त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था से जुड़े सदस्य ईश्वर अग्रवाल ने तत्कालीन अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर, नायब तहसीलदार रितेश जोशी, खजराना थाना के तत्कालीन टीआइ दिनेश वर्मा, ASI एनएस बोरकर, सहकारिता निरीक्षक प्रवीण जैन के विरुद्ध सीधे लोकायुक्त को शिकायत भेजी थी। फरियादी के मुताबिक साल 2021 में त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था के विरुद्ध खजराना थाना में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया गया था।
अफसरों ने रिपोर्ट में दावा किया कि संस्था की खजराना क्षेत्र स्थित आवासीय प्रयोजन की 15 एकड़ जमीन को न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था ने पहले ही खरीद लिया था। तत्कालीन अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर द्वारा रिपोर्ट भेजी गई और नायब तहसीलदार को थाने भेजकर एफआइआर दर्ज करवाई।
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खजराना थाने में मामला दर्ज होने के बाद त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था के सदस्यों ने अफसरों पर तथ्यों को छिपाकर एफआईआर दर्ज करने का आरोप लगाया। लोकायुक्त द्वारा मामले की जांच करवाई गई तो यह तथ्य भी सामने आया कि न्याय विभाग संस्था द्वारा गैर रजिस्टर्ड एवं बगैर स्टांप ड्यूटी के इकरारनामा के आधार पर जमीन खरीदने का दावा किया है।
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