निमिष तिवारी, बागबाहरा. महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक में अपनी तरह का एक अनूठा मामला सामने आया है, जिसने जहाँ एक तरफ गरीबों के लिये राशन कार्ड के महत्व को सामने लाया है, वहीं दूसरी तरफ शासन के जटिल नियमों और प्रशासन की असंवेदनशीलता पर भी ऊँगली उठाई है.
ब्लॉक के ग्राम नरतोरी की लगभग 40 वर्षीय महिला देवकुंवर चक्रधारी ने बताया कि वर्ष 2011 से पूर्व उसके पास मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के तहत जारी किया गया स्लेटी राशन कार्ड था जिससे उसे राशन और अन्य शासकीय योजनाओं का लाभ मिलता था. अपने परिवार की गरीबी के कारण और स्थानीय स्तर पर कोई रोजगार नहीं मिलने के कारण उसे पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा.
जब वह अपने गांव को छोड़कर अपने परिवार के साथ ईंट भट्टे में काम कर रही थी, इसी बीच उसके गांव में आर्थिक जनगणना हुई और गांव में नहीं होने के कारण सर्वे लिस्ट से उसका नाम काट दिया गया. सर्वे लिस्ट से नाम कटने के कारण उसके नाम से नया राशन कार्ड जारी नही हो पाया, जिसके कारण उसके परिवार को राशन मिलना बंद हो गया है, उसके परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है और सबसे जरूरी स्मार्ट कार्ड से भी उसे वंचित कर दिया गया है.
पलायन का दंश झेल रही इस महिला की मुसीबत तब और बढ़ गई जब वह पेट में दर्द की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास पहुँची और डॉक्टर ने उसे बताया कि उसके पेट में ट्यूमर है जिसका जल्दी ऑपरेशन नहीं होने पर एक माह के भीतर उसकी मौत तय है. वह सरपंच, सचिव के पास गई, उन्होंने उसके गांव के स्थाई निवासी होने के संबंध में प्रशासन को अवगत कराया, मगर नियमों के चक्रव्यूह में फंस कर उनकी कलम भी घिस गई.
देवकुंवर चक्रधारी के बताए अनुसार उसने क्षेत्रीय विधायक से भी संपर्क किया. विधायक ने उसे संजीवनी कोष से ईलाज कराने फार्म भी दिया मगर फार्म में कुछ कमी होने के कारण उसका ईलाज नहीं हो पाया है. देवकुंवर अपनी गरीबी और बीमारी से तंग आकर तहसील कार्यालय पहुँची और कलेक्टर के नाम नायब तहसीलदार को आवेदन दे कर परिवार सहित इच्छामृत्यु की मांग की है. देवकुंवर के परिवार में उसके पति के अलावा एक 16 वर्षीय पुत्री और एक पुत्र भी शामिल है.