स्पोर्ट्स डेस्क. भारत की स्वप्ना बर्मन ने बुधवार को महिलाओं की हेप्टाथलोन स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. वह इस स्पर्धा में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट बनीं. एक बार फिर देश का मान महिला एथलीट ने बढ़ाया, जिस पर भारत गर्व महसूस कर रहा है. 21 वर्षीया स्वप्ना की उपलब्धि पर उनका गृहनगर जलपाईगुड़ी जश्न में डूब गया.

21 वर्षीय बर्मन ने दो दिन तक चली सात स्पर्धाओं में 6026 अंक बनाये. इस दौरान उन्होंने ऊंची कूद (1003 अंक) और भाला फेंक (872 अंक) में पहला तथा गोला फेंक (707 अंक) और लंबी कूद (865 अंक) में दूसरा स्थान हासिल किया था. उनका खराब प्रदर्शन 100 मीटर (981 अंक, पांचवां स्थान) और 200 मीटर (790 अंक, सातवां स्थान) में रहा.

एक रिक्शाचालक की बेटी का एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतना किसी सपने से कम नहीं. जैसे की स्वप्ना की जीत पर मुहर लगी तो एथलीट के घर के बाहर लोगों का जमावड़ा लग गया और चारों तरफ मिठाइयां बांटी जाने लगीं. स्वप्ना की सफलता से खुश मां बाशोना इतनी भावुक हो चुकी थीं कि उनके मुंह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे. उन्होंने बेटी की खातिर भगवान से पूरे दिन प्रार्थना की, जिसका फल उन्हें मिला और बेटी ने देश में उनका नाम रोशन कर दिया. जानकारी मिली कि स्वप्ना की मां ने खुद को काली माता के मंदिर में बंद कर लिया था.

पिता रिक्शा चालक, अभी हैं बीमार

मां प्रार्थना करने में लीन रहीं, जिसकी वजह से वह अपनी बेटी को इतिहास रचते हुए नहीं देख सकीं. स्वप्ना के माता-पिता का हाल पल-पल में बदल रहा था. वह जितना खुश थे, उतना ही भावुक होते हुए अपनी परेशानियों के बारे में बता रहे थे क्योंकि स्वप्ना को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने भी कड़ी तपस्या की है.

मां ने कहा, ‘मुझे बेहद खुशी है. मैंने और स्वप्ना के पिता ने उसे यहां तक लाने में काफी कठिनाइयों का सामना किया है. आज हमारा सपना पूरा हो गया. मैंने उसका प्रदर्शन नहीं देखा. मैं दिन के दो बजे से प्रार्थना कर रही थी. यह मंदिर उसने बनाया है. मैं काली मां को बहुत मानती हूं. मुझे जब उसके जीतने की खबर मिली तो मैं अपने आंसू रोक नहीं पाई.’

स्वप्ना के पिता पंचन बर्मन रिक्शा चालक हैं. हालांकि, पिछले कुछ समय से वह अस्वस्थ हैं और इसी वजह से वह बिस्तर पर हैं. स्वप्ना की मां ने बताया कि वह अपनी बेटी की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती थीं, लेकिन कभी उनकी बेटी ने इसकी शिकायत नहीं की. बशोना ने कहा, ‘यह उसके लिए आसान नहीं था. हमेशा उसकी जरूरत पूरी नहीं कर पाते थे, लेकिन उसने पलटकर शिकायत नहीं की. एक वह भी समय था जब स्वप्ना को अपने लिए उपयुक्त जूतों पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा.’

दरअसल, स्वप्ना के दोनों पैरों में छह-छह उंगलियां हैं. पांव की अतिरिक्त चौड़ाई खेलों में उसकी लैंडिंग को मुश्किल बना देती है, जिसकी वजह से उनके जूते जल्दी फट जाते हैं.

स्वप्ना के बचपन के कोच सुकांत सिन्हा ने बताया मैं 2006 से 2013 तक उनका कोच रहा. वह काफी गरीब परिवार से आती है और उसके लिए अपनी ट्रेनिंग का खर्च उठाना मुश्किल होता है. जब वह चौथी क्लास में थी, तब ही मैंने उसमें प्रतिभा देख ली थी. इसके बाद मैंने उसे ट्रेनिंग देना शुरू किया.

जानिए क्या है हेप्टाथलोन

हेप्टाथलोन में एथलीट को कुल 7 स्टेज में हिस्सा लेना होता है. पहले स्टेज में 100 मीटर फर्राटा रेस होती है. दूसरा हाई जंप, तीसरा शॉट पुट, चौथा 200 मीटर रेस, 5वां लांग जंप और छठा जेवलिन थ्रो होता है. इस इवेंट के सबसे आखिरी चरण में 800 मीटर रेस होती है. इन सभी खेलों में ऐथलीट को प्रदर्शन के आधार पर अंक मिलते हैं, जिसके बाद पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के एथलीट का फैसला किया जाता है.