प्रयागराज. सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो का वायरल होने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अश्लील वीडियो का प्रसार एक बड़ा खतरा है जो सामाजिक गिरावट का नतीजा है. ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारियों को जांच करते समय उच्चतम दक्षता सुनिश्चित करनी चाहिए.

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकलपीठ ने अभियुक्त सूरज की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए की है. कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक, लखनऊ को पुलिस विवेचना में पर्यवेक्षक की तुलना में जांच की खराब गुणवत्ता और आईटी से संबंधित अपराधों के संबंध में पुलिस जांचकर्ताओं की खराब दक्षता की खामियां दूर करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है, साथ ही जौनपुर के पुलिस अधीक्षक को वायरल वीडियो की बरामदगी न करने के स्पष्टीकरण के साथ अगली सुनवाई की तिथि पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है. 

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मामले के अनुसार गवाह ने बयान दिया कि अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया, किंतु विवेचना अधिकारी ने आपत्तिजनक वीडियो की बरामदगी नहीं की. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी पुलिस की विवेचना की गुणवत्ता ‘बहुत ही कमजोर’ है जो ‘सामाजिक टकराव’ का कारण बन सकता है. कोर्ट ने आगे कहा कि आदेश का पालन नहीं किया जा रहा अथवा पुलिस आईटी से संबंधित अपराधों की विवेचना की गुणवत्ता कायम रखने में विफल है.

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