लखनऊ. उत्तर प्रदेश में पर्सनल लोन लेने की रफ्तार (ग्रोथ) दूसरे राज्यों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है. आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल 2020 की तुलना में 2023 में यूपी वालों ने एक लाख करोड़ रुपये का ज्यादा पर्सनल लोन लिया. यह ग्रोथ करीब 70 फीसदी रही. वहीं, सबसे ज्यादा पर्सनल लोन लेने वालों में महाराष्ट्र पहले व कर्नाटक दूसरे नंबर पर है.
आरबीआई ने लोगों की आदतें, खर्च करने की क्षमता व जमा-निकासी के बारे में बताया है. इसमें पर्सनल फाइनेंस को लेकर चौंकाने वाले बदलाव सामने आए हैं.
यूपी की बात करें तो यहां कोरोना से पहले हर साल पर्सनल लोन में औसतन 12 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि हो रही थी, पर उसके बाद इसकी रफ्तार एकाएक दोगुनी हो गई. पर्सनल लोन बैंक उन्हीं ग्राहकों को देते हैं, जिनका सिबिल स्कोर व बैंकिंग रिकॉर्ड अच्छा हो. अभी तक इस फेहरिस्त में सबसे आगे महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक व तमिलनाडु जैसे समृद्ध राज्य होते थे, लेकिन अब यूपी ने भी इसमें जगह बना ली है. इसकी वजह यूपी में लोगों के बैंक खातों में बढ़ा पैसा, साफ-सुथरी बैंकिंग लेनदेन व लोन चुकाने वालों की बढ़ती संख्या है.
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आरबीआई का शिकंजा भी: रेवड़ी की तरह बंट रहे पर्सनल लोन पर आरबीआई ने एक दिन पहले ही सख्त फैसला लिया है. स्वर्ण व स्वर्णाभूषण से सुरक्षित आवासीय, शिक्षा और वाहन लोन के अलावा अन्य सभी पर्सनल लोन के लिए जोखिम समायोजन का स्तर 100 से बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया गया है. पर्सनल लोन श्रेणी का जितना कर्ज बैंक देते हैं, उसके एवज में 100 फीसदी राशि उनको अपने खाते में समायोजित करना पड़ती है. चूंकि पर्सनल लोन के बदले ग्राहक से आमतौर पर कोई गारंटी नहीं रखी जाती, इसलिए ये फैसला लिया गया है. एनबीएफसी सबसे ज्यादा पर्सनल लोन बांट रहे हैं.