उत्तरप्रदेश के फुलेरा गांव में एक आश्रम का अपना अलग इतिहास है. यहां कहा जाता है कि दादी महाराज जी यहां जमीन में समा गई थी. जिनकी खड़ाऊ आज भी आश्रम में मौजूद हैं. यह आश्रम करीब 323 वर्ष पुराना है जो भक्तों की आस्था का एक बड़ा केंद्र है.

बता दें कि देश के प्रत्येक कोने से श्रद्धालु पहुंचकर दादी महाराज जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आश्रम के मुख्य पुजारी का कहना है कि फुलेरा गांव के एक ब्राह्मण परिवार की रहने वाली हरनंदी को आज के समय में दादी महाराज जी के नाम से जाना जाता है. Read More – Bigg Boss 17 : Isha Malviya और Samarth Jurel ने घर में की हदें पार, वायरल हो रहा Video …

मुगल शासन काल में दादी महाराज जी का परिवार फुलेरा गांव के जंगल में एक स्थान पर पूजा पाठ करता था. दादी महाराज जी के पिता उनकी शादी करना चाहते थे और बुलंदशहर में शादी की थी. जब डोले में सवार होकर वह बुलंदशहर के लिए जाने लगी तो वह बुलंदशहर नहीं पहुंची.

आश्रम में मौजूद हैं दादी महाराज जी के खड़ाऊ

इसके बाद उनके ससुराल और परिजनों ने काफी तलाश की, जिसके बाद दादी महाराज जी इस स्थान पर मिला. जहां उनका परिवार पूजा अर्चना करता था. दादी महाराज जी ने पहले तो शादी से इनकार किया और फिर ससुराल जाने से मना किया. जब उनके ससुराल और परिजनों ने उन्हें ससुराल जाने को कहा, तो वह इसी स्थान पर धरती फटने के बाद समा गई, जिसके बाद उनके खड़ाऊ यहां मौजूद रह गए. उनके परिजनों और ससुराल वालों ने यहीं पर पूजा पाठ शुरू कर दी. दादी महाराज जी के इस आश्रम को आज के समय में देश के प्रत्येक कोने से लोग देखने के लिए आते हैं और यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं. Read More – बैक लेस टॉप में नजर आईं Urfi Javed

श्रद्धालुओं की उमड़ती है भीड़

आश्रम के मुख्य पुजारी का कहना है कि दादी महाराज जी के खड़ाऊ आज भी आश्रम में मौजूद हैं. जब दादी महाराज की धरती फटने के बाद धरती में समाई थी तो उनके खड़ाऊ खुदाई करने के बाद जमीन में मिले थे. वहीं खड़ाऊ आज भी इस आश्रम में मौजूद हैं. यहां देश के कोने कोने से लोग आते हैं और आश्रम के दर्शन करते हैं. 2002 में इस आश्रम का स्थानीय लोगों ने नवीनीकरण कराया.