राजनांदगांव. 18 किलो के इस शख्स का 200 बार हड्डियाँ टूट चुकी है. फिर भी जीवटता ऐसी कि कभी हार नहीं माने. मानो इनके हौसले के आगे तूफान भी बौना है. आज शिक्षक दिवस पर इस शख्स का (शख्सियत कहें तो ज्यादा बेहतर) भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने डोंगरगढ़ में सम्मान किया. बता दें कि नावेद ने हजारों लोगों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग दिया है. अब आप नावेद के बारे में भी कुछ जान लीजिये…

नावेद एक बेहद ही भयानक और लाइलाज बीमारी से लड़ रहे हैं. ऐसी बीमारी जिसमें जिंदगी नर्क से कम नहीं होती. नावेद को ऑस्ट्रोजेनेटिक एमफार्फेक्टा नाम की बीमारी ने जकड़ रखा है. इस बीमारी में मरीज की हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि, झटका ही नहीं महज जोर से छींक आने पर इनके टूटने का खतरा बना रहता है. साथ ही इस बीमारी से पीड़ित शख्स का मानसिक ग्रोथ तो होती है लेकिन उसका शारीरिक विकास रुक जाता है.

नावेद के साथ अब तक करीब दो सौ बार ऐसा हो चुका है जब झटके से नावेद की हड्डियां चटक गई हों. लाइलाज बीमारी और बेइंतहां दर्द के बावजूद नावेद ने हार नहीं मानी उन्होंने अपनी समस्या से लड़ते हुए बीड़ा उठाया है युवा पीढ़ी का भविष्य संवारने का. नावेद अपने घर पर करीब 100 गरीब बच्चे और महिलाओं को हर रोज पांच से छह घंटे तक निशुल्क कंप्यूटर ट्रेनिंग दे रहे हैं.

इसे हौसले की ही ताकत कहेंगे कि अपने पैरों से एक कदम भी न चल पाने वाले नावेद आज युवा पीढ़ी को डिजिटलाइजेशन के इस दौर में फर्राटे भरने के गुर सिखा रहे हैं. नावेद की मां बताती हैं कि यह पता होने के बाद भी कि बीमारी की वजह से बेटे का शारीरिक विकास रुक जाएगा नावेद को पढ़ाई करने से कभी नहीं रोका और मां के इसी जज्बे ने एमसीए करने के बाद नावेद को कप्यूटर की ट्रेनिंग देने की प्रेरणा दी. नावेद को समाज के लिए किए गए काम के लिए चेन्नई में केविन केयर मिस्ट्री अवार्ड और 2017 में खिदमत अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.