Odisha Panchuk Festival: पवित्र उड़िया महीने ‘कार्तिक’ के आखिरी शुभ पांच दिनों को पाचुक के नाम से जाना जाता है, जो आज से ओडिशा में शुरू हुआ.

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, जो लोग पूरे कार्तिक माह में व्रत रखने में असमर्थ हैं, वे महीने के आखिरी पांच दिनों में व्रत रख सकते हैं और इससे उन्हें पूरे महीने का लाभ मिलेगा. पंचुक की अवधि के दौरान, ओडिशा में अधिकांश लोग मांसाहारी भोजन से परहेज करते हैं.

धारण कराई जाएँगी पांच विशेष पोशाकें (Odisha Panchuk Festival)

परंपरा के अनुसार, इस दौरान पुरी में भगवान जगन्नाथ को पांच विशेष पोशाकें धारण की जाती हैं. पंचुक के पहले दिन को ‘बड़ एकादशी’ के नाम से जाना जाता है और इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ लक्ष्मी नारायण पोशाक पहनते हैं. ‘अबकाशा नीति’ के बाद, पवित्र त्रिदेव श्रीमंदिर में भक्तों को ‘पाटबस्त्र’, विशेष आभूषण और आकर्षक फूलों से बनी मालाएं पहनाकर दर्शन देंगे. इसी तरह, भगवान जगन्नाथ और उनके भाई भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा ‘द्वादशी’ (पंचुका का दूसरा दिन) में ‘बांकचूड़ा भेस ‘, ‘त्रयोदशी’ (पंचुका का तीसरा दिन) में ‘त्रिबिक्रम भेस’, ‘लक्ष्मी नर्सिंग भेस’ धारण करते हैं. ‘चतुर्दशी’ (पंचुका का चौथा दिन) और ‘कार्तिक पूर्णिमा’ (पंचुका का अंतिम दिन) में ‘राजराजेश्वर भेस’ या स्वर्ण पोशाक.

पंचुक रीत के पांच दिनों के दौरान भारी भीड़ की संभावना को ध्यान में रखते हुए, पुरी जिला प्रशासन ने भीड़ और यातायात प्रबंधन के लिए व्यापक व्यवस्था की है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुरी में 30 प्लाटून पुलिस बल तैनात किया जाएगा.

श्रीमंदिर से मरीचिकोट चौक तक बड दांड के रास्ते में सभी अस्थायी दुकानें और स्ट्रीट वेंडिंग इकाइयां बंद कर दी गई हैं, जबकि ग्रैंड रोड पर बाजार चौक से वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है. देवताओं के सुचारू दर्शन के लिए मारीचिकोट चौक तक बैरिकेड्स लगाए गए हैं. बुजुर्गों और दिव्यांगों के सुचारू दर्शन सुनिश्चित करने के लिए तीन पालियों में स्वयंसेवकों को लगाया गया है.

इस बीच, धबलेश्वर मंदिर में भक्तों की आमद को देखते हुए जिला प्रशासन ने शनिवार को आने वाले भगवान शिव के बड़ ओशा के लिए विशेष व्यवस्था की है. ‘त्रयोदशी’ और ‘चतुर्दशी’ तिथियों के बीच भगवान धबलेश्वर को लोकप्रिय ‘गज भोग’ और ‘तराना’ चढ़ाया जाएगा. भक्त भगवान धबलेश्वर के ‘गज भोग’ और ‘तराना’ लेकर अपना ‘बड़ ओशा’ और ‘कार्तिक ब्रत’ पूरा करते हैं.

पंचुक के पहले दिन भगवान धबलेश्वर ‘चंद्रमौली’ पोशाक में भक्तों को दर्शन दिए. आज सुबह 3 बजे सेवादारों ने मंदिर का दरवाजा खोला. 108 घड़े पानी के साथ भगवान धबलेश्वर के ‘स्नान’ और ‘मैलम’ और ‘मंगला आरती’ जैसे अन्य बिधि के प्रदर्शन के बाद, हजारों भक्तों को भगवान धबलेश्वर के दर्शन करने की अनुमति दी गई.