Devuthni Ekadashi Pooja Muhurat: रायपुर. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखा जाता है.

इस दिन पालनहार भगवान विष्णु पूरे चार मास बाद योग निद्रा से जागते हैं. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को धूप, दीप, पुष्प, फल, अर्घ्य और चंदर आदि अर्पित करें. भगवान की पूजा करके इन मंत्रों का जाप करें.

उत्तिष्ठोत्तिष्ठगोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते। त्वयिसुप्तेजगन्नाथ जगत् सुप्तमिदंभवेत्॥

उत्तिष्ठोत्तिष्ठवाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे। हिरण्याक्षप्राणघातिन्त्रैलोक्येमंगलम्कुरु॥

इसके बाद भगवान की आरती करें. वह पुष्प अर्पित कर इन मंत्रों से प्रार्थना करें. इसके बाद सभी भगवान को स्मरण करके प्रसाद का वितरण करें.

देवउठनी एकादशी तिथि (Devuthni Ekadashi Pooja Muhurat)

हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 22 नवंबर की रात 9 बजकर 12 मिनट से शुरू हुई है, 23 नवंबर की रात 11 बजकर 03 मिनट पर समाप्त हो रही है. ऐसे में उदया तिथि के आधार से देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को है.

देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त

रात्रि पूजा का मुहूर्त- शाम 05 बजकर 25 मिनट से रात 08 बजकर 46 मिनट तक

एकादशी 2023 पारण समय

24 नवंबर को सुबह 06 बजकर 51 मिनट से सुबह 08 बजकर 57 मिनट के बीच कभी भी पारण कर सकते हैं.

देवउठनी एकादशी पूजा विधि (Devuthni Ekadashi Pooja Muhurat)

भगवान विष्णु का मनन करते हुए व्रत का संकल्प ले लें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करें. पहले जल से आचमन करें. फिर भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, माला आदि चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं. इसके बाद पीले रंग की मिठाई, गन्ना, सिंघाड़ा, मौसमी फल आदि चढ़ाने के साथ जल चढ़ा दें. इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर विष्णु चालीसा, एकादशी व्रत कथा, श्री विष्णु स्त्रोत, विष्णु मंत्र आदि का जाप कर लें. इसके बाद आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें. दिनभर व्रत रखें और शाम को विधिवत पूजा करने के साथ प्रवेश द्वार के पास घी का एक दीपक जलाएं. इसके बाद अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण कर लें.