शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव मतदान के बाद बूथ रिपोर्ट पर अध्ययन शुरू हो गया है। बीजेपी अपने पन्ना प्रमुख तो कांग्रेस बूथ एजेंटों से तलब की गई रिपोर्ट पर माथापच्ची में जुटी हुई है। इस बार रिकॉर्ड मतदान के चलते दोनों ही दलों की धड़कन युवा मतदाताओं ने बढ़ाई है। 

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दरअसल मध्यप्रदेश में पहली बार मतदान करने वाले युवा मतदाताओं की संख्या 22 लाख 26 हजार है। इसके अलावा दूसरी बार मतदान करने वाले युवा मतदाताओं की संख्या भी 18 लाख के पार है। इन मतदाताओं ने दोनों ही सरकार देखी है। 2018 में 15 माह की कांग्रेस की सरकार और फिर बीजेपी का शासन भी इन मतदाताओं ने देखा है। 

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उधर बीजेपी की रणनीति के तहत दिग्विजय सिंह शासन काल को लेकर वोटरों को लुभाने की नीति भी इन नव मतदाताओं पर विफल रही। कारण यह है कि इन मतदाताओं ने नेताओं के बयानों में शामिल 2003 के पहले का कांग्रेस शासनकाल  देखा ही नहीं। वहीं कांग्रेस का दावा है कि युवा मतदाताओं ने बेरोजगारी, शिक्षा माफिया, व्यापम और पटवारी परीक्षा गड़बड़ी जैसे अन्य मामलों को लेकर पंजे को वोट किया। 

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वहीं बीजेपी की माने तो विकास के साथ रोजगार और राष्ट्रवादी विचारधारा को युवाओं ने चुना है। इसके अलावा कांग्रेस के आरोप पर भी पलटवार करते हुए बीजेपी ने कहा कि धांधली और गड़बड़ियों की कमलनाथ सरकार थी। शिवराज सरकार ने दिग्विजय सिंह की बंटाधार सरकार के बीमारू मध्य प्रदेश को विकसित मध्यप्रदेश बनाया है। हालांकि ये तो 3 दिसंबर को साफ हो जाएगा कि प्रदेश की सत्ता में कौन काबिज होता है। 

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