जालंधर. देश के 5 राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि में हो रहे विधानसभा चुनावों के नतीजे ही पंजाब में कार्पोरेशन चुनावों का रास्ता तय करेंगे।

पंजाब में सरकार ने जालंधर, अमृतसर, लुधियाना व पटियाला में कार्पोरेशन के चुनाव करवाने हैं जहां मेयरों की अवधि खत्म हो चुकी है और इन शहरों में कार्पोरेशनों का कामकाज कमिश्नरों के हवाले किया हुआ है। पंजाब सरकार ने यद्यपि कार्पोरेशन चुनाव की तारीख अपने स्तर पर 7 जनवरी तय की हुई है परंतु सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि दिसम्बर के शुरू में आने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजे ही कार्पोरेशन चुनाव की तारीख व दिशा तय करेंगे।

The results of assembly elections will decide the course of corporation elections in Punjab

आम आदमी पार्टी का पूरा ध्यान इस समय विधानसभा चुनावों के नतीजों की तरफ है। यदि ये परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जाते हैं तो उस स्थिति में पंजाब में कार्पोरेशन चुनावों को लेकर पुनर्विचार हो सकता है। अगर चुनावी नतीजे कांग्रेस तथा भाजपा दोनों के पक्ष में बराबर जाते हैं तो उस स्थिति में सरकार कार्पोरेशन चुनाव करवाने की दिशा में आगे बढ़ जाएगी पर अगर विधानसभा चुनावों के नतीजे एकतरफा आते हैं तो फिर सरकार जल्दबाजी में कार्पोरेशन चुनाव करवाने के लिए आगे नहीं बढ़ेगी।


पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान व उनके सहयोगी यही चाहते कि कार्पोरेशन चुनावों को जनवरी के शुरू में करवा दिया जाए। अभी तो फिलहाल मुख्यमंत्री स्वयं चुनावी राज्यों में प्रचार के लिए जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी को इस बात का पता है कि अन्य राज्यों में उसको ज्यादा सफलता हासिल नहीं होनी है परंतु इतना अवश्य है कि कुछ राज्यों में वह अन्य पार्टियों की हार-जीत में अवश्य सहायक सिद्ध हो सकती है।

आम आदमी पार्टी को कितने प्रतिशत वोट मिलते हैं इस पर भी अन्य राजनीतिक पार्टियों की नजरें टिकी रहेंगी। विधानसभा चुनावी नतीजे आते ही सारी तस्वीर साफ हो जाएगी और पता चल जाएगा कि सरकार कार्पोरेशन चुनाव के लिए आगे कदम बढ़ाती है या फिर इसे लोकसभा चुनावों के बाद करवाएगी।अगर जनवरी में कार्पोरेशन चुनाव न हुए तो फिर यह तय है कि इन चुनावों को आम लोकसभा चुनावों के बाद ही करवाया जाएगा।