Vaikuntha Chaturdashi 2023: रायपुर. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी होती है. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं.
बैकुंठ चतुर्दशी को हरिहर यानि श्रीहरि और महादेव की पूजा करने का विधान है. जो भी व्यक्ति बैकुंठ चतुर्दशी को भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. जीवन के अंत समय में उसे भगवान विष्णु के धाम बैकुंठ में स्थान मिलता है. बैकुंठ चतुर्दशी का दिन सामान्य नर और नारी को विष्णु कृपा प्राप्ति का उत्तम साधन है. बैकुंठ चतुर्दशी का मुहूर्त, शुभ योग और महत्व क्या है? बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु को कौन सा अस्त्र मिला था? बैकुंठ चतुर्दशी पर स्वर्ग का द्वार क्यों खुलता है?
कब है बैकुंठ चतुर्दशी 2023?
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 25 नवंबर दिन शनिवार को शाम 05 बजकर 22 मिनट पर प्रारंभ होगी. यह तिथि अगले दिन 26 नवंबर रविवार को दोपहर 03 बजकर 53 मिनट तक मान्य रहेगी. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, इस वर्ष बैकुंठ चतुर्दशी 25 नवंबर शनिवार को है.
बैकुंठ चतुर्दशी पर क्यों खुला रहता है स्वर्ग का द्वार?
भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए जो भी व्यक्ति बैकुंठ चतुर्दशी पर उनकी पूजा करता है, उसे स्वर्ग प्राप्त होता है. मृत्यु के बाद जीवात्मा को बैकुंठ में स्थान मिलता है. सामान्यजनों के लिए बैकुंठ चतुर्दशी पर स्वर्ग के द्वार खुले रहते हैं, ताकि उनको विष्णु नाम जप से ही स्वर्ग प्राप्त हो. नारद जी के आग्रह पर भगवान विष्णु ने जय और विजय को बैकुंठ चतुर्दशी पर स्वर्ग के द्वार खुले रखने का आदेश दिया.
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