Odisha News: स्कूल भवनों पर करोड़ों रुपये खर्च करने का कोई मतलब नहीं है, अगर इरादा अनुकूल पढ़ाई का माहौल उपलब्ध कराने का नहीं है. नबरंगपुर के चंदहांडी ब्लॉक के अंतर्गत चिलगांव प्राथमिक विद्यालय इसका प्रमाण है.

प्राथमिक विद्यालय के कक्षा 1 से 5 तक के कम से कम 30 छात्रों को अपने विद्यालय की इमारत छोड़ने और स्थानीय मिशन शक्ति कार्यालय के दो छोटे कमरों में पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि दीवारों में दरारें आ गईं और छत से सीमेंट के प्लास्टर गिर गए, जिससे बच्चों का जीवन खतरे में पड़ गया.

एक छात्रा रत्नी कनियारा ने कहा कि “हमारे पास पढ़ने के लिए एक इमारत थी. लेकिन छत से पानी टपक रहा है, छत से सीमेंट के प्लास्टर और चिप्स गिर रहे हैं. हम 30 छात्र हैं और मिशन शक्ति कार्यालय कक्ष में अध्ययन करना कठिन है. दोपहर का खाना खाने के लिए भी कोई जगह नहीं है.

स्कूल प्रबंधन समिति के एक सदस्य बेनुधर सागड़िया ने आरोप लगाया की “जब छत गिरने लगी, तो शिक्षकों ने हमसे छात्रों को पढ़ाने के लिए एक और इमारत की व्यवस्था करने के लिए कहा. इसलिए हमने शिक्षकों से मिशन शक्ति भवन में पढ़ाई शुरू करने को कहा. हमने डीईओ, कलेक्टर से लेकर मंत्री तक सभी से अनुरोध किया. लेकिन छह महीने हो गए हैं, लेकिन इमारत की मरम्मत के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है, ”.

स्कूल की प्रधानाध्यापिका नलिनी माझी ने कहा, “जब छत से सीमेंट के प्लास्टर के बड़े टुकड़े गिरे और जंग लगी छड़ें दिखने लगीं तो हमें बच्चों की जान का डर था. गाँव में एक बैठक बुलाई गई और छात्रों को पढ़ाई के लिए मिशन शक्ति कार्यालय में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया. यही स्थिति नबरंगपुर के शगरियापड़ा प्राइमरी स्कूल की भी है. छात्रों को वहां आने से रोकने के आदेश के बाद स्कूल में बड़ा ताला लटका दिया गया है. चिलीगांव की तरह, शगरियापाड़ा स्कूल के छात्र भी एक निर्माणाधीन निजी भवन में स्थानांतरित हो गए हैं. वे वहां निर्माण सामग्री और काम कर रहे मजदूरों के साथ-साथ अध्ययन कर रहे हैं.

स्कूलों के बारे में पूछे जाने पर, चंदहांडी ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ), सुवेन कुमार मंडल ने कहा, “स्कूल जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है. इसलिए हमने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को लिखा था. इस काम के लिए 5.5 लाख रुपये पहले ही स्वीकृत हो चुके हैं. जल्द ही काम शुरू हो जायेगा. यहां तक कि शगरियापड़ा स्कूल का भी नवीनीकरण करने पर विचार चल रहा है. मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इसके लिए कम से कम 10 लाख रुपये स्वीकृत किए जाएंगे.”