तनवीर खान, मैहर। मध्य प्रदेश के मैहर में 1 और 2 रुपए के सिक्के को लगभग चलन से बाहर कर दिया गया है, ग्राहक और दुकानदर ने तो सिक्कों का लेनदेन करना ही बंद कर दिया है। जिले के व्यापारियों का षड्यंत्र न सिर्फ भारतीय मुद्रा के खिलाफ गंभीर अपराध है बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भी इसका असर पड़ सकता है। जिसके चलते आम ग्राहकों को 1 या 2 रुपए का सामान 5 रुपए में खरीदना पड़ रहा है।
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सिक्कों बाहर करने का खुलेआम हो रहा षड्यंत्र
प्राचीन भारतीय बाजार व्यवस्था की पहचान भारतीय मुद्रा सिक्कों को बाजार में चलन से बाहर करने का खुलेआम षड्यंत्र किया जा रहा है। मप्र. के मैहर जिले में व्यपारी अपने छोटे से लाभ की लालच में यह कारनामा अंजाम दे रहे है, यहां के व्यापारी ग्राहकों से सिक्के लेने से साफ इनकार कर देते है। 1 या 2 रुपए के समान को 5 रुपए में बेच रहे है। जिससे अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे है।
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दुकानदार और व्यापारी का हाल
जिले के दुकानदार और व्यापारी कहते है बैंक सिक्के नही लेता है, बिगड़ती बाजार व्यवस्था के चलते भिखारी भी भिक्षा में सिक्के नही ले रहे है। ग्राहक को 1 या 2 रुपए में मिलने वाली माचिस, मोमबत्ती, शैम्पू, तेल के पाउच, बिस्कुट टॉफी अब 5 रुपए में खरीदने को मजबूर है। जहां एक तरफ दुकानदार व व्यापारी ग्राहकों की जेब मे डाका डाल रहे है वहीं इसका दुष्प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है।
बैंक भी नहीं लेता सिक्के
कानून के जानकार बताते है कि सिक्को को लेने से इनकार करना, बैंक में जमा करने से इनकार करने या ग्राहक द्वारा लेने से इनकार करना भारतीय मुद्रा का न सिर्फ अपमान है बल्कि गंभीर अपराध है। अपराध साबित होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, हैरत की बात यह है कि सब कुछ खुलेआम होने के बावजूद स्थानीय शासन प्रशासन कुम्भकर्णीय नींद में है, आज जब हमारी टीम ने कलेक्टर को जगाया तो उन्होंने संवेदनशल मामले में अफसरों वा बैक के लोगों से बैठक करने की बात कही है।
जाने क्या कहा व्यापारी ने
मैहर के गल्ला व्यापारी दीपक अग्रवाल ने बताया कि हम मजबूर है जो भी किसान हमारे पास सामान लेकर आता है उनसे हम 1 वा 2 के सिक्के नहीं लेते क्योंकि बैंक हमसे 100 रुपए से ज्यादा के सिक्के नहीं लेता है और जब 100 रुपए से अधिक सिक्के जमा करते है तो बैंक द्वारा चार्ज लिया जाता है। यदि कोई सामान 23 रुपए का है तो हम उसे 20 रुपए में ही देना पड़ता है या कोई सामान 27 रुपए का है तो ग्राहक से हमें 30 रुपए लेना पड़ता है। दोनों जगह पर लोगों को ही नुकसान झेलना पड़ता है।
भिखारी भी नहीं लेते सिक्के
वहीं मां शारदा देवी मंदिर में बैठे भिखारी भी एक और दो के सिक्के नहीं लेते हैं और अगर लेते भी हैं तो दर्शनार्थियों को खुलने के तौर पर दे देते हैं। ताकि वह अन्य भिखारियों को भीख दे सके। वहीं चाय वा गुटके बेचने वाले छोटे दुकानदार का कहना है कि एक और दो के सिक्के हमसे कोई व्यापारी लेने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि व्यापारियों से बैंक नहीं लेता है।
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प्रसाद बेचने वाली दुकानदार उर्मिला गोस्वामी ने कहा कि बैंक और व्यापारी दोनों ही 1 या 2 रुपए लेने से मना कर देता है। जिससे हमारी मजबूरी हो जाती है कि हम भी किसी ग्राहक से नहीं लेते है। यदि कोई ग्राहक सामान लेता है तो उसे साफ मना कर देते है। जबरदस्ती करते हैं तो या तो नुकसान में देना पड़ता है या ग्राहक से ज्यादा पैसे लेने पड़ते हैं।
बीड़ी वह माचिस बेचने वाले गोमती ने कहा एक और दो के सिक्के न चलने की वजह से हमें बीड़ी के साथ माचिस फ्री में देनी पड़ती है। उसने कहा 10 रुपए बनाने के लिए 9 रुपए की बीड़ी वह 1 की माचिस दी जाती है।
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