सुशील सलाम, कांकेर. जिले के कोयलीबेडा ब्लाक के परकोट जलासय से निकली नहर बीते कई वर्षों से जलीय पौधे, घास व खरपतवार से भटी पड़ी थी. जिसके कारण नहर से पानी में रुकावट हो रही है. पानी के रुकावट के कारण नहर से आस-पास लगे हुए क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा बाधित हो रही थी. नहर की साफ-सफाई कराने के लिए स्थानीय किसानों के द्वारा विभाग को कई दफा लिखित शिकायत की गई. मगर विभागीय लापरवाही के कारण नहर के साफ-सफाई कार्य में अनिमियतता बरती जा रही थी. परलकोट जलासय से निकली हुई नहर से श्यामनगर पंचायत के आश्रित गांव सोहेगाओ, पी व्ही 13 तथा पीव्ही 14 की 500 सौ हेक्टेयर किसानों की खेती सिंचाई होता है.

खरपतवार बना बाधा

सिंचाई के लिए निकली नहर में कई प्रकार के जलीय पौधे, घास व खरपतवार के कारण नहर से निकलने वाले पानी के बहाव में अवरोध पैदा कर रहा था. जिसके कारण नहर से पानी किसानों के खेत तक समुचित तरीके से नहीं पहुंच रहा था. नहर की साफ-सफाई नहीं होने के कारण गुस्साए किसानों ने कहा कि सरकार के किसानों की समस्याओं को अनसुना कर रही है. जिससे कृषि कार्य में परेशानी का सामना करना पड़ता है.

चंदा जोड़ किसानों ने पोकलेन मसीन से कराए सफाई

लिखित आवेदन व स्थानीय जनप्रतिनिधियों से नहर की साफ-सफाई का कार्य जब नहीं हुआ तो, ग्रामीणों ने आपसी तालमेल व सामंजस्य स्थापित कर चंदा इकट्ठा करने की तरकीब सोची. नहर की साफ-सफाई व खेती के लिए फसलों को पानी के लिए इकट्ठे चंदे से किसानों ने पोकलेन मसीन बुलाकर साफ-सफाई का काम शुरु कराए. किसानों ने बताएं कि तीन गांवों के किसानों से चंदा इकट्ठा किया गया. वहीं सफा-सफाई के दौरान जल संसाधन विभाग के सिविल इंजीनियर मौके पर मौजूद रहे. किसानों ने मौजादू अधिकारियों से नहर की साफ-सफाई के बारे में जब बात किए तो अधिकारियों ने कहा कि मेंटेनेंस के लिए विभाग के द्वारा कोई फंड़ नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण नहरों की साफ-सफाई के कार्यो देरी होती है.