शीर्ष कोर्ट भीमा-कोरेगांव हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किए गए पांच नक्सली विचारकों की रिहाई की मांग को लेकर फैसला सुना सकता है.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की दृष्टि से शुक्रवार का दिन भी अहम रहेगा. शीर्ष कोर्ट इस दिन भीमा-कोरेगांव हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किए गए पांच नक्सली विचारकों की रिहाई की मांग को लेकर इतिहासकार रोमिला थापर एवं अन्य की याचिका पर फैसला सुना सकता है. याचियों ने गिरफ्तारी की एसआइटी से जांच कराने की भी मांग की है. भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने पांच नक्सली विचारकों वरवर राव, अर्जुन फरेरा, वरनोन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज तथा गौतम नवलखा को 29 अगस्त को विभिन्न शहरों से गिरफ्तार किया था. अदालती आदेश पर अभी वे सभी अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं. इन पर नक्सलियों से संपर्क रखने का आरोप लगाया गया है.
इतिहासकार रोमिला थापर तथा कुछ अन्य प्रमुख हस्तियों ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए तत्काल रिहाई और गिरफ्तारी की एसआइटी से जांच कराने की मांग की है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचू़़ड की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 20 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इसके पहले 19 सितंबर को कोर्ट ने कहा था कि वह इस केस को ‘पैनी नजर’ से देखेगा ताकि अनुमानों की वेदी पर आजादी (स्वतंत्रता) की बलि न चढ़े. महाराष्ट्र पुलिस ने इन सभी आरोपितों के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा करते हुए दलील थी कि कोर्ट को आपराधिक मामले में किसी तीसरे पक्ष की याचिका पर विचार नहीं करना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने इस दलील पर नाराजगी जताई थी.